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हिन्दू धर्म में मांगलिक कार्यों के लिए विशेष मुहूर्त और माह निर्धारित किया गया है. इसके पीछे राशि और ग्रहों का तालमेल एक बड़ा कारण है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हिन्दू धर्म में मांगलिक कार्यों के लिए विशेष मुहूर्त और माह निर्धारित किया गया है. इसके पीछे राशि और ग्रहों का तालमेल एक बड़ा कारण है. इस साल अब 16 दिसंबर से मांगलिक कार्यों पर करीब एक माह के लिए रोक लग जाएगी. 16 दिसंबर से खरमास प्रारंभ हो रहा है. पंचांग के आधार पर हिन्दी वर्ष में दो बार खरमास या मलमास लगता है. एक जब सूर्य धनु राशि में प्रवेश करता है और दूसरा तक जब सूर्य मीन राशि में प्रवेश करता है. 16 दिसंबर को सूर्य की धनु संक्रांति (Dhanu Sankranti) प्रारंभ हो रही है, जो 14 जनवरी 2022 को समाप्त होगी. तब सूर्य धनु राशि से निकलकर मकर राशि में प्रवेश करेगा और मकर संक्रांति (Makar Sankranti) प्रारंभ होगी. आइए जानते हैं कि खरमास में मांगलिक कार्य क्यों नहीं होते हैं?
खरमास 2021
प्रारंभ: 16 दिसंबर, दिन गुरुवार
समापन: 14 जनवरी, दिन शुक्रवार
खरमास में इस वजह से नहीं होते मांगलिक कार्य
1. ऐसा मान्यता है कि जब भी सूर्य धनु और मीन राशि में आता है तो उसकी गति या यानी चाल धीमी हो जाती है. उसका प्रभाव कम हो जाता है. इस वजह से मांगलिक कार्य नहीं किए जाते.
2. दूसरा कारण यह है कि देव गुरु बृहस्पति को मांगलिक कार्यों का कारक माना गया है. जब भी विवाह, सगाई आदि जैसे मांगलिक कार्य होते हैं, तो उस समय बृहस्पति ग्रह का प्रबल होना या अच्छी स्थिति में होना आवश्यक माना जाता है. धनु और मीन राशि के स्वामी बृहस्पति हैं और जब भी सूर्य का इन दोनों राशियों में प्रवेश होता है, तो बृहस्पति की स्थिति कमजोर हो जाती है,उनका प्रभाव कम हो जाता है. ऐसे में फिर मांगलिक कार्य वर्जित हो जाते हैं.
जब मकर संक्रांति प्रारंभ होगी, तब देव गुरु बृहस्पति का प्रभाव भी बढ़ जाएगा, उसके बाद से फिर विवाह, सगाई, मुंडन, गृह प्रवेश, नामकरण आदि जैसे मांगलिक कार्य प्रारंभ हो जाएंगे.
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