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धर्म-अध्यात्म
जानिए मां दुर्गा के 7 सिद्ध मंत्रों के जप से पूरी होगी हर मन्नत
Teja
24 March 2022 9:34 AM GMT
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नवरात्रि का पर्व हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है। हिंदू पंचांग के अनुसार साल भर में कुल मिलाकर 4 नवरात्रि आती हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | नवरात्रि का पर्व हिंदुओं का एक प्रमुख त्योहार है। हिंदू पंचांग के अनुसार साल भर में कुल मिलाकर 4 नवरात्रि आती हैं जिसमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि का विशेष महत्व है। नौ दिवसीय इस पर्व में 9 रातों तक तीन देवियां - मां लक्ष्मी, मां सरस्वती और मां काली के नौ स्वरुपों की पूजा होती है।
इस साल 2022 में चैत्र मास की शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्रि का आरंभ होगा। मां आदिशक्ति की उपासना का पर्व 2 अप्रैल से शुरू होगा और नवमी तिथि 11 अप्रैल की होगी।
चैत्र नवरात्रि के 9 दिनों तक मां दुर्गा के भक्त उपवास रखते हुए पूजा अर्चना करते हैं। चैत्र प्रतिपदा तिथि को घटस्थापना की जाती है और अष्टमी व नवमी तिथि पर कन्या पूजन के बाद व्रत का पारण किया जाता है।
हर किसी के जीवन में यूं तो उतार-चढ़ाव लगे ही रहते है। देखा जाये तो व्यक्ति अपनी परेशानियों में घिरा रहता है, कई तरह के उपाय करने के बाद भी उसका समाधान प्राप्त नहीं कर पाता। ऐसे में वो खुद से और जीवन से निराश होने लगता है।
कहते है अगर सच्चे मन से नवरात्र में माँ की पूजा की जाये तो समस्त बाधाओं और बंधनों से मुक्त करा देती है। इसलिए मनोकामना पूर्ति, लक्ष्य की सिद्धि, तंत्र-मंत्र के लिए नवरात्र में आदिशक्ति मां दुर्गा के मंत्रों का जाप होता है। तो चलिए जानते है वो खास मंत्र -
'मां दुर्गा के सिद्ध मंत्र'
शत्रु के विनाश के लिए
रक्त बीज वधे देवि चण्ड मुण्ड विनाशिनि।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।
सौभाग्य की प्राप्ति के लिए
वन्दि ताङ्घ्रियुगे देवि सर्वसौभाग्य दायिनि।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।
अपने कल्याण के लिए
सर्व मंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्रयम्बके देवी नारायणी नमोस्तुते।।
समस्त बाधाओं से मुक्ति के लिए
शुम्भस्यैव निशुम्भस्य धूम्राक्षस्य च मर्दिनि।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।
बीमारियों से मुक्ति के लिए
देहि सौभाग्यमारोग्यं देहि मे परमं सुखम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।
जगत के कल्याण के लिए
विधेहि देवि कल्याणं विधेहि परमां श्रियम्।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।
धन और विद्या प्राप्ति के लिए
विद्यावन्तं यशस्वन्तं लक्ष्मीवन्तं जनं कुरु।
रूपं देहि जयं देहि यशो देहि द्विषो जहि।।
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