धर्म-अध्यात्म

जानिए भूलकर भी न करें शिवलिंग की पूरी परिक्रमा

Tara Tandi
19 July 2022 7:25 AM GMT
जानिए भूलकर भी न करें शिवलिंग की पूरी परिक्रमा
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श्रावण या सावन माह की शुरुआत गुरुवार 14 जुलाई 2022 से हो चुकी है, जोकि शुक्रवार 12 अगस्त 2022 तक रहेगी

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। श्रावण या सावन माह की शुरुआत गुरुवार 14 जुलाई 2022 से हो चुकी है, जोकि शुक्रवार 12 अगस्त 2022 तक रहेगी. सावन माह शिवजी का प्रिय माह होता है, इसलिए इस पूरे माह शिवभक्त शिवलिंग पर अभिषेक करते हैं और पूजा करते हैं. हिंदू धर्म में सभी देवी-देवताओं की पूजा-अराधना से जुड़े कई नियम होते हैं. पूजा के दौरान इन नियमों का पालन करना जरूरी होता है, तभी पूजा का फल प्राप्त होता है. पूजा में परिक्रमा करने के भी नियम होते हैं, लेकिन शिवलिंग परिक्रमा के नियम अलग होते हैं, जिसके बारे में आपको जरूर जानना चाहिए. दिल्ली के आचार्य गुरमीत सिंह जी से जानते हैं शिवलिंग परिक्रमा के नियम के बारे में.

पूजा-पाठ में परिक्रमा का विशेष महत्व होता है. परिक्रमा कई तरह की होती है. इनमें मंदिर परिक्रमा, पवित्र व पूजनीय पेड़-पौधों की परिक्रमा, तीर्थ स्थान की परिक्रमा, देवी-देवताओं की परिक्रमा और गिरिराज परिक्रमा शामिल है. कहा जाता है कि परिक्रमा करने से व्यक्ति के पापों का नाश होता है और भगवान का आशीर्वाद प्राप्त होता है. आमतौर पर परिक्रमा जहां से शुरू की जाती है, वहीं समाप्त भी की जाती है. लेकिन शिवलिंग परिक्रमा के नियम अलग होते हैं. शिवलिंग की पूरी नहीं, बल्कि आधी परिक्रमा की जाती है. जानते हैं शिवलिंग परिक्रमा से जुडे महत्वपूर्ण नियम.
भूलकर भी न करें शिवलिंग की पूरी परिक्रमा
शिवपुराण में शिवलिंग परिक्रमा के बारे में बताया गया है. शिवपुराण के अनुसार, शिवलिंग की पूरी नहीं बल्कि आधी परिक्रमा करनी चाहिए क्योंकि शिवलिंग को शिव और शक्ति का ऊर्जा माना गया है. शिवलिंग का आकार भी अर्धचंद्रकार है. शिवलिंग पर अभिषेक करने के बाद जिस मार्ग से जल बाहर निकलता है, उसे सोमसूत्र या जलाधारी कहा जाता है. शिवलिंग की परिक्रमा करते समय इस जल को लांघना अशुभ माना जाता है, इसलिए शिवलिंग की पूरी परिक्रमा नहीं करनी चाहिए.
क्या है शिवलिंग परिक्रमा के नियम
शिवलिंग की आधी परिक्रमा करनी चाहिए और दिशा का भी विशेष ध्यान रखना चाहिए. शिवलिंग की परिक्रमा बाईं ओर से शुरू करनी चाहिए और जलाधारी तक पहुंचने के बाद उससे आगे नहीं बढ़ना चाहिए बल्कि विपरीत दिशा में घूमकर परिक्रमा पूर्ण करनी चाहिए.
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