धर्म-अध्यात्म

जानिए 12 जुलाई के बाद इन राशियों को मिलेगी ढैय्या से मुक्ति

Tara Tandi
4 July 2022 5:11 AM GMT
जानिए 12 जुलाई के बाद इन राशियों को मिलेगी ढैय्या से मुक्ति
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। 12 जुलाई, मंगलवार को शनिदेव वक्री चाल से चलते हुए मकर राशि में प्रवेश करेंगे। मकर राशि शनि की स्वराशि है। शनिदेव मकर राशि में वक्री 23 अक्तूबर तक रहेंगे। शनि के मकर राशि में वक्री होने पर कुछ राशि के जातकों की परेशानियां बढ़ सकती है। वक्री चाल को उल्टी चाल कहते हैं ऐसे में कुछ राशियों की परेशानियां बढ़ने के साथ शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या भी लग जाएगी। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब शनि ग्रह राशि परिवर्तन या चाल बदले हैं तो इसका प्रभाव सभी जातकों पर शुभ या अशुभ के तौर पर जरूर पड़ता है। शनिदेव मकर और कुंभ राशियों के स्वामी हैं। शनि 12 जुलाई, 2022 की सुबह 10:28 बजे स्वराशि मकर में वक्री होने जा रहे हैं और फिर 23 अक्टूबर, 2022 को इसी राशि में मार्गी हो जाएंगे।

12 जुलाई के बाद इन राशियों को मिलेगी ढैय्या से मुक्ति
ज्योतिष गणना के अनुसार शनिदेव का राशि परिवर्तन करीब ढाई वर्षों बाद इसी साल 29 अप्रैल को स्वराशि कुंभ में प्रवेश किया था। शनि के कुंभ राशि में प्रवेश करने से मिथुन और तुला राशि वाले जातकों पर चल रही शनि की ढैय्या खत्म हो गई थी और कर्क और वृश्चिक राशि वालों पर शनि की ढैय्या शुरू हो गई थी। लेकिन अब यानी 12 जुलाई से शनि के मकर राशि में आते ही कर्क और वृश्चिक राशि से ढैय्या का प्रकोप खत्म हो जाएगा। फिर एक बार मिथुन और तुला राशि के जातकों पर ढैय्या आरंभ हो जाएगी। शनि के मकर राशि में वक्री होने पर कर्क और वृश्चिक राशि के जातकों समेत कुछ अन्य राशि के लोगों का लाभ अवश्य मिलेगा। धन लाभ और भाग्य में वृद्धि हो सकती है। व्यापार में अच्छा समय आ सकता है। नई नौकरी के लिए दिया गया आवेदन स्वीकार्य किया जा सकता है। निवेश से आपको अच्छा लाभ मिल सकता है।
इस राशियों पर रहेगी साढ़ेसाती और ढैय्या
शनि देव मौजूदा समय में कुंभ राशि में वक्री है। लेकिन 12 जुलाई को शनिदेव पीछे की तरफ चलते हुए मकर में प्रवेश कर जाएंगे। जिस कारण से धनु,मकर और कुंभ राशि के लोगों पर साढ़ेसाती का प्रभाव रहेगा वहीं,मिथुन और तुला राशि पर ढय्या रहेगी। इन राशियों के लोगों को खासतौर से संभलकर रहना होगा और परेशानियों से बचने के लिए शनि के उपाय करने होंगे।
ज्योतिष में शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का महत्व
सभी ग्रहों में शनि ग्रह का विशेष महत्व होता है। शनिदेव न्याय और कर्म के देवता हैं। ये जातकों को उनके कर्मों के आधार पर फल देते हैं। इसके अलावा शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या का विशेष महत्व होता है। गणना के अनुसार एक मनुष्य के जीवन में तीन बार साढ़ेसाती का प्रभाव अवश्य ही आता है। इसके अलाव शनि की ढैय्या ढाई वर्षों की होती है। शनि की साढ़ेसाती और ढैय्या होने पर जातकों के जीवन में कई तरह परेशानियां आती हैं।
शनिदोष से बचने के उपाय
- शनि मंत्र ऊँ शं शनैश्चराय नम: मंत्र का जाप 108 बार करें।
- शनि देव को सरसों का तेल अर्पित करें।
- शनिदेव की पूजा में लोहें के बर्तनों का प्रयोग करें।
- काला तिल और उड़द दाल का दान करें।
- शनि देव को काला कपड़ा और नीले फूल चढ़ाएं।
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