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धर्म-अध्यात्म
जानिए यह प्रचलित कथा के अनुसार, कुछ गलतियां ऐसी होती हैं जिन्हें सही समय पर न रोका जाए तो वे जीवनभर देती हैं दुख
Nilmani Pal
6 Dec 2020 12:31 PM GMT
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ये गलतियां हमेशा नुकसान पहुंचाती हैं इसलिए गलतियों को सही समय पर ही सुधार लेना चाहिए
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया। मंथन के अंत में अमृत कलश लेकर धनवंतरी समुद्र से निकले। देवता और असुर दोनों ही अमृत पहले पीना चाहते थे। इसके लिए दोनों पक्षों के बीच झगड़ा होने लगा। तब भगवान विष्णु ने मोहिनी अवतार लिया। सुंदर स्त्री को देखकर राक्षस मोहित हो गए।
मोहिनी ने असुरों से कहा, 'मैं पहले देवताओं को अमृत पिलाऊंगी, कलश में ऊपर-ऊपर पानी है और नीचे अमृत है इसलिए आप थोड़ी प्रतीक्षा करें।'
सुंदरता से मोहित असुरों ने मोहिनी की बात मान ली। इसके बाद जब मोहिनी देवताओं को अमृतपान करा रही थी, तब एक असुर को संदेह हुआ। उस असुर का नाम था राहु। वह भेष बदलकर देवताओं के साथ बैठ गया और उसने भी अमृत पी लिया।
सूर्य-चंद्र ने राहु को पहचान लिया और उन्होंने भगवान विष्णु को ये बता दिया। विष्णुजी क्रोधित हो गए और उन्होंने अपने सुदर्शन चक्र से राहु का सिर धड़ से अलग कर दिया। लेकिन, राहु ने अमृत पी लिया था, इस कारण वह मरा नहीं।
उस असुर का सिर राहु और धड़ केतु के नाम से जाना जाता है। उसका सिर अमर हो गया था, उसने तप करके ब्रह्माजी को प्रसन्न किया तो ब्रह्माजी ने उसे ग्रह बना दिया।
राहु-केतु आज भी सूर्य-चंद्र के शत्रुता रखते हैं और पूर्णिमा-अमावस्या पर इन ग्रहों पर आक्रमण करते हैं। इसी आक्रमण को ग्रहण कहा जाता है।
सीख- इस कथा में देवताओं से गलती हो गई थी कि एक असुर ने अमृत पी लिया था और वो समय पर उसे पहचान नहीं पाए। कुछ गलतियां ऐसी होती हैं, जिन्हें सही समय पर न रोका जाए तो वे जीवनभर दुख देती हैं। ये गलतियां राहु-केतु की तरह हमारी व्यवस्था को, हमारे परिवार को हमेशा नुकसान पहुंचाती हैं इसलिए गलतियों को सही समय पर ही सुधार लेना चाहिए। वरना, एक बार समय निकल गया तो फिर हम कुछ भी बदल नहीं सकते हैं।
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