धर्म-अध्यात्म

जानिए भगवान श्री राम के जन्म उत्सव की कुछ खास बातें

Khushboo Dhruw
14 April 2021 2:26 PM GMT
जानिए भगवान श्री राम के जन्म उत्सव की कुछ खास बातें
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दशरथ पुत्र कौशल्या नंदन प्रभु श्रीराम का जन्म सरयू नदी के किनारे बसी अयोध्यापुरी में हुआ था।

दशरथ पुत्र कौशल्या नंदन प्रभु श्रीराम का जन्म सरयू नदी के किनारे बसी अयोध्यापुरी में हुआ था। लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न उनके भाई और लव एवं कुश उनके पुत्र थे। आओ जानते हैं राम के जन्म की 6 खास बातें।

1. अयोध्या के राजा दशरथ ने ऋषि वशिष्ठ के कहने पर अपने जमाई ऋंग ऋषि से पुत्रेष्टि यज्ञ करवाया था तब उन्हें चार पुत्रों की प्राप्ती हुई थी। उनके पुत्रों में राम सबसे बड़े थे।
2. महर्षि वाल्मीक जी ने रामायण में उल्लेख किया है कि श्री राम जी का जन्म चैत्र शुक्ल पक्ष की नवमी तिथि को पुनर्वसु नक्षत्र में कर्क लग्न में, दोपहर के समय में जब पांच ग्रह अपने उच्च स्थान में थे तब अभिजीत महूर्त में हुआ था।
3. राम जन्म होते ही शीतल, मंद और सुगंधित पवन बह रहा था। देवता हर्षित थे और संतों के मन में आनंद हो रहा था। वन फूले हुए थे, पर्वतों के समूह मणियों से जगमगा रहे थे और सारी नदियां अमृत की धारा बहा रही थीं।
4. जब ब्रह्माजी ने भगवान के प्रकट होने का समाचार सुना तो उनके समेत सारे देवता विमान सजा-सजाकर अयोध्या पहुंच गए। निर्मल आकाश देवताओं के समूहों से भर गया। गंधर्वों के दल गुणों का गान करने लगे और सुंदर अंजलियों में सजा-सजाकर पुष्प बरसाने लगे।
5. बच्चे के रोने की बहुत ही प्यारी ध्वनि सुनकर सब रानियां उतावली होकर दौड़ी चली आईं। दासियां हर्षित होकर जहां-तहां दौड़ीं। सारे पुरवासी आनंद में मग्न हो गए। राजा दशरथजी ने सोचा जिनका नाम सुनने से ही कल्याण होता है, वही प्रभु मेरे घर आए हैं। यह सोचकर राजा दशरथ का मन परम आनंद से पूर्ण हो गया। उन्होंने बाजे वालों को बुलाकर कहा कि बाजा बजाओ और इस तरह संपूर्ण नगर में उत्सव की शुरुआत हो गई। ध्वजा, पताका और तोरणों से नगर छा गया। जिस प्रकार से वह सजाया गया, उसका तो वर्णन ही नहीं हो सकता। फिर राजा ने नांदीमुख श्राद्ध करके सब जातकर्म-संस्कार आदि किए और ब्राह्मणों को सोना, गो, वस्त्र और मणियों का दान दिया॥
6. राजा ने सब किसी को भरपूर दान दिया। जिसने पाया उसने भी अपने पास नहीं रखा लुटा दिया। नगर की सभी गलियों के बीच-बीच में कस्तूरी, चंदन और केसर की कीच मच गई। घर-घर मंगलमय बधावा बजने लगा, क्योंकि शोभा के मूल भगवान प्रकट हुए हैं। नगर के स्त्री-पुरुषों के झुंड के झुंड जहां-तहां नाचने और झूमने लगे थे और इस तरह संपूर्ण नगरवासियों ने राम का जन्म उत्सव मनाया।


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