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धर्म-अध्यात्म
हनुमान जी की पूजा करने के कुछ जरूरी नियम, जान लीजिए
Shiddhant Shriwas
5 Oct 2021 6:13 AM GMT
![हनुमान जी की पूजा करने के कुछ जरूरी नियम, जान लीजिए हनुमान जी की पूजा करने के कुछ जरूरी नियम, जान लीजिए](https://jantaserishta.com/h-upload/2021/10/05/1336619--.webp)
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कलयुग में हनुमान जी की साधना शीघ्र ही शुभ फल देने वाली मानी गई है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सनातन परंपरा में हनुमान जी एक ऐसे देवता हैं जो सभी युगों में मौजूद रहते हैं. हनुमान जी एक मात्र ऐसे देवता हैं जो प्रत्येक हिंदू के घर में सबसे ज्यादा पूजे जाते हैं क्योंकि कलयुग में हनुमान जी की साधना सबसे ज्यादा कल्याणकारी है और हनुमान जी पूजा करने पर सबसे जल्दी प्रसन्न होकर अपने भक्तों की मुसीबतें दूर करने दौड़े चले आते हैं. जीवन से जुड़ी कैसी मनोकामना हो, हनुमान जी पलक झपकते ही पूरी कर देते हैं. आइए आज उन्हीं संकटमोचक हनुमान जी की पूजा के नियम और लाभ के बारे में विस्तार से जानते हैं.
कब करें हनुमान जी की साधना
हनुमान जी की साधना को लेकर बहुत से लोगों के मन में यह भ्रम होता है कि महिलाओं को हनुमान जी की पूजा नहीं करनी चाहिए या फिर प्रातः के ' सवा प्रहर ' पूजा नहीं करना चाहिए. जबकि ऐसा किसी भी शास्त्र या पुराण में नहीं लिखा है. हनुमान जी को कभी आप सच्चे मन से पुकारिए, उनके नाम का भजन कीजिए, वे हर समय अपने भक्तों की मदद करने के लिए दौड़े चले आते हैं. इसी तरह महिलाओं को भी हनुमान जी की पूजा करनी चाहिए. यह जरूर है कि रजस्वला होने पर नहीं करना चाहिए और हनुमान जी को सिंदूर किसी पुरुष के द्वारा लगवाना चाहिए.
हनुमान जी की पूजा के नियम
हनुमान जी की साधना मंगलवार के दिन से प्रारंभ करना अत्यंत शुभ माना जाता है.
हनुमान की साधना-आराधना करने वाले साधक को ब्रह्मचर्य व्रत पालन करना चाहिए.
जब तक हनुमत साधना या अनुष्ठान चले, साधक स्त्री संसर्ग न करें और न किसी प्रकार की स्त्री चर्चा या कामुक चर्चा करें.
हनुमान की मूर्ति को जल से और पंचामृत से स्नान कराने के बाद सिन्दूर में तिल के तेल को मिलाकर बजरंगी की मूर्ति पर पर लगाना चाहिए.
हनुमान को लाल पुष्प प्रिय है, अतः उनकी पूजा में सिर्फ लाल रंग के पुष्प जैसे गुड़हल, गुलाब आदि ही चढ़ाएं.
हनुमान जी को प्रसाद में गुड़ और गेंहू की रोटी का चूरमा आदि चढ़ा सकते हैं.
हनुमानजी के लिए जो भी प्रसाद चढ़ाया जाये वह शुद्ध घी में शुद्धतापूर्वक बनाया हुआ होना चाहिए.
हनुमान की उपासना में चरणामृत का विधान नहीं है, अतः चरणामृत का प्रयोग नहीं किया जाता.
हनुमान की उपासना में दक्षिण दिशा की तरफ मुंह करे साधक को मंत्र जप करना चाहिए.
हनुमान जी की पूजा के लाभ
हनुमान की साधना करने पर साधक को बल, बुद्धि, शक्ति, प्राप्त होती है.
हनुमान जी की साधना करने पर मन का अहंकार समाप्त होता है.
हनुमान हमेशा कमजोर और दीन-दुखियों के दर्द को दूर करने के लिए तत्पर रहते हैं.
हनुमत साधना से समस्त लौकिक व पारलौकिक सुख प्राप्त होते हैं.
हनुमत साधना से बड़े से बड़े रोग दूर हो जाते हैं और साधक को अच्छी सेहत का वरदान मिलता है.
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Shiddhant Shriwas
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