धर्म-अध्यात्म

जानिए सोम प्रदोष व्रत और पूजा विधि

Tara Tandi
11 July 2022 6:03 AM GMT
जानिए सोम प्रदोष व्रत और पूजा विधि
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आज आषाढ़ मा​ह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत है. सोमवार दिन होने के कारण यह सोम प्रदोष व्रत है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज आषाढ़ मा​ह के शुक्ल पक्ष का प्रदोष व्रत है. सोमवार दिन होने के कारण यह सोम प्रदोष व्रत (Som Pradosh Vrat) है. यदि आपकी कोई मनोकामना है और उसे पूरा करना चाहते हैं, तो आप सोम प्रदोष व्रत रखें और प्रदोष मुहूर्त में भगवान भोलेनाथ की पूजा करें. सोम प्रदोष व्रत मनोकामनाओं की पूर्ति करने

वाला होता है. जरूरत होती है तो सच्चे मन से भगवान शिव (Lord Shiva) की भक्ति और विधिपूर्वक उनकी पूजा. काशी के ज्योतिषाचार्य चक्रपाणि भट्ट के अनुसार, आज सोम प्रदोष पर बना सर्वार्थ सिद्धि योग आपकी मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए उत्तम है. इस योग ​में किए गए कार्य सफल होते हैं. आज आपको शुभ मुहूर्त में भगवान महादेव की पूजा करनी चाहिए. आइए जानते हैं प्रदोष पूजा का शुभ समय और विधि.
सोम प्रदोष व्रत 2022 मुहूर्त
आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी तिथि की शुरूआत: 11 जुलाई, सुबह 11:13 बजे से
आषाढ़ शुक्ल त्रयोदशी तिथि की समाप्ति: 12 जुलाई, मंगलवार, सुबह 07 बजकर 46 मिनट पर
शिव पूजा का प्रदोष मुहूर्त: आज शाम 07:22 बजे से रात 09:24 बजे तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 05:31 बजे से सुबह 07:50 बजे तक
शुक्ल योग: सुबह से रात 09:02 बजे तक, फिर ब्रह्म योग
रवि योग: कल सुबह 05:15 बजे से सुबह 05:32 बजे तक
शिव पूजा का मंत्र
ओम नम: शिवाय. यह शिव पंचाक्षर मंत्र है. यह समस्त मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला शिव मंत्र है. यह सरल लेकिन प्रभावशाली मंत्र है.
सोम प्रदोष व्रत और पूजा विधि
1. आज प्रात: स्नान के बाद सोम प्रदोष व्रत और शिव पूजा का संकल्प लें. पूजा के समय सूर्य देव को जल अर्पित करें.
2. अब आप सुबह में दैनिक पूजा कर लें. दिनभर फलाहार पर रहें. शाम के समय में प्रदोष मुहूर्त में किसी शिव मंदिर में जाकर पूजा करें या फिर घर पर ही शिवलिंग की पूजा करें.
3. सबसे पहले शिवलिंग का गंगाजल से अभिषेक करें. फिर चंदन, अक्षत्, बेलपत्र, भांग, धतूरा, शमी के पत्ते, सफेद फूल, फल, शहद, धूप, दीप, गंध आदि अर्पित करें. इस दौरान ओम नम: शिवाय मंत्र का जाप करते रहें.
4. अब आप शिव चालीसा का पाठ करें और सोम प्रदोष व्रत कथा पढ़ें या सुनें. इसके बाद घी के दीपक से शिव जी की आरती उतारें. अंत में जो भी आपकी मनोकामना है, उसकी पूर्ति के लिए प्रार्थना करें. रात्रि के समय में शिव भजन और जागरण करें.
5. अगली सुबह स्नान के बाद पूजा करें. ब्राह्मण को दान दें. फिर सूर्योदय के पश्चात पारण करके व्रत को पूरा करें.
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