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आज शनि प्रदोष व्रत है और इसका हिंदू धर्म में कापी महत्व होता है
आज शनि प्रदोष व्रत है और इसका हिंदू धर्म में कापी महत्व होता है. हिन्दू पंचांग के अनुसार प्रदोष व्रत कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि को मनाया जाता है. शनिवार होने के कारण प्रदोष व्रत को शनि प्रदोष व्रत के नाम से जाना जाता है. शनि प्रदोष व्रत के दिन शनि देव और भगवान शिव की पूजा करना शुभ माना जाता है. शनि प्रदोष व्रत के दिन भगवान शिव की पूजा करने से हर कार्य में सफलता प्राप्त होती है.
शनि प्रदोष व्रत शुभ मुहूर्त (shani pradosh vrat shubh muhurat)
कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी शुरू- 5 नवंबर, शाम 5:06 बजे से
कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी तिथि समाप्त - 6 नवंबर, शाम 4:28 बजे तक
प्रदोष व्रत पूजा मुहूर्त - 5 नवंबर, शाम 05.41 बजे से 08.17 बजे तक
शनि प्रदोष व्रत पूजा विधि (shani pradosh vrat pujan vidhi)
- सुबह जल्दी उठकर स्नान करने के बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करें.
- इसके बाद भगवान शिव को जल चढ़ाए.
- शिवलिंग पर सफेद चंदन, अक्षत, फूल, माला, बेलपत्र, धतूरा, शमी के पत्ते आदि चढ़ाएं.
- इसके बाद प्रदोष व्रत कथा का पाठ करें.
- शिव चालीसा और मंत्र का जाप करें.
- पूरे दिन उपवास करने के बाद शाम को भगवान शिव की विधिवत पूजा करें.
प्रदोष व्रत का महत्व
स्कंद पुराण के अनुसार, प्रदोष व्रत का पालन करने से व्यक्ति को धन लाभ के साथ-साथ अच्छे स्वास्थ्य की भी प्राप्ति होती है. साथ ही भगवान शिव की कृपा से हर कार्य में सफलता मिलती है. ऐसा माना जाता है कि अगर निःसंतान दंपत्ति इस व्रत को करते हैं तो भगवान शिव शीघ्र ही उनकी मनोकामना पूरी करते हैं.
न्यूज़ क्रेडिट: zee-hindustan
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