धर्म-अध्यात्म

जानिए सावन शिवरात्रि व्रत और महत्व

Tara Tandi
26 July 2022 4:45 AM GMT
जानिए सावन शिवरात्रि व्रत और महत्व
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आज सावन शिवरात्रि व्रत (Sawan Shivratri) है. सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को सावन ​शिवरात्रि मनाई जाती है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। आज सावन शिवरात्रि व्रत (Sawan Shivratri) है. सावन माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी तिथि को सावन ​शिवरात्रि मनाई जाती है. महाशिवरात्रि के बाद सावन शिवरात्रि का महत्व अधिक है क्योंकि शिव जी के प्रिय माह सावन की यह शिवरात्रि है. पुरी के ज्योतिषाचार्य डॉ. गणेश मिश्र के अनुसार, आज सूर्योदय के समय त्रयोदशी तिथि है, लेकिन चतुर्दशी का प्रारंभ शाम को 06:46 बजे से हो रहा है और इस तिथि में शिवरात्रि पूजा का मुहूर्त आज रात में ही प्राप्त हो रहा है. इस वजह से पूजन मुहूर्त को ध्यान में रखते हुए सावन शिवरात्र आज ही है. आइए जानते हैं सावन शिवरात्रि के पूजन मुहूर्त, शिव पूजा विधि और महत्व आदि के बारे में.

सावन शिवरात्रि व्रत 2022 मुहूर्त
सावन कृष्ण चतुर्दशी तिथि की शुरूआत: आज, शाम 06 बजकर 46 मिनट से
सावन कृष्ण चतुर्दशी तिथि की समाप्ति: कल, रात 09 बजकर 11 मिनट पर
शिव पूजा का शुभ मुहूर्त: आज रात 12 बजकर 07 मिनट से देर रात 12 बजकर 49 मिनट तक
शाम की पूजा का समय: 7:16 बजे से रात 9:52 बजे तक
व्रत पारण का समय: कल, सुबह 5:40 बजे के बाद से
सावन शिवरात्रि का महत्व
सावन शिवरात्रि का व्रत रखने और भगवान शिव की पूजा करने से सभी मनो​कामनाओं की पूर्ति होती है. परिवार में धन, सुख, समृद्धि और शांति बनी रहती है. सावन माह में ही भगवान शिव और माता पार्वती का मिलन हुआ था. माता पार्वती के कठोर तप से भगवान शिव प्रसन्न हुए थे और माता पार्वती से उनका विवाह हुआ था.
यह भी कहा जाता है कि जब शिव जी ने विषपान किया था, तो उनकी शरीर तपने लगा था, उसके दुष्प्रभाव को कम करने के लिए सभी देवताओं ने महादेव का जलाभिषेक किया. इस वजह से सावन शिवरात्रि पर महादेव का जलाभिषेक करते हैं.
सावन शिवरात्रि व्रत और पूजा ​​विधि
1. आज प्रात: स्नान के बाद सफेद या हरे रंग का वस्त्र पहनें. फिर सावन शिवरात्रि व्रत और शिव पूजा का संकल्प करें.
2. शुभ पूजा मुहूर्त में शिवलिंग का गंगाजल या पवित्र जल से अभिषेक करें. फिर उनको चंदन, अक्षत्, बेलपत्र, भांग, धतूरा, फल, सफेद फूल, दूध, शहद आदि चढ़ाएं.
3. इस दौरान ओम नम: शिवाय का उच्चारण करते रहें या फिर जो मंत्र याद है, उसका उच्चारण करते रहें. अब धूप, दीप, गंध आदि शिव जी को अर्पित करें.
4. फिर शिव चालीसा और सावन शिवरात्रि व्रत कथा को पढ़ें. उसके बाद शिव जी की आरती करें. शिव आरती के लिए घी के दीपक या कपूर का उपयोग कर सकते हैं.
5. पूजन के बाद रा​त्रि प्रहर में जागरण करें और अगले दिन सुबह फिर पूजन करें. पारण से पूर्व किसी गरीब ब्राह्मण को अन्न, फल, वस्त्र आदि दान करें.
6. अब शुभ समय में पारण करके व्रत को पूरा करें. भगवान शिव से प्रार्थना करें कि वे आपकी मनोकामना को पूरा करें.
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