धर्म-अध्यात्म

जानें कौन सी तारीख को पड़ रहें शादी के शुभ मुहूर्त

Tara Tandi
5 July 2022 8:41 AM GMT
जानें कौन सी तारीख को पड़ रहें शादी के शुभ मुहूर्त
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हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है. ये दिन भगवान विष्णु को समर्पित हैं. इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में एकादशी का विशेष महत्व है. ये दिन भगवान विष्णु को समर्पित हैं. इस दिन विधि-विधान से भगवान विष्णु की पूजा की जाती है और व्रत रखा जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस दिन व्रत और पूजा करने से मोक्ष की प्राप्ति होती है और सभी पापों से मुक्ति मिलती है. इस बार आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी 10 जुलाई को पड़ रही है. इसे देवशयनी एकादशी (Devshayani Ekadashi) या हरिशयनी एकादशी के रूप में भी जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि इस एकादशी से भगवान विष्णु 4 महीने के लिए योग निद्रा में चले जाते हैं. ऐसे में कोई भी शुभ कार्य करना वर्जित माना जाता है. इस दौरान मुंडन, विवाह, सगाई और मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं. लेकिन 10 जुलाई को पड़ने वाली देवशयनी एकादशी से पहले विवाह के तीन शुभ मुहूर्त (Vivah Muhurat) पड़ रहे हैं. आइए जानें कौन सी तारीख को पड़ रहें ये शुभ मुहूर्त.

शादी के तीन शुभ मुहूर्त
देवशयनी एकादशी से पहले शादी के केवल तीन शुभ मुहूर्त हैं. इनमें से एक 5 जुलाई, दूसरा 6 जुलाई और तीसरा 8 जुलाई को पड़ रहा है. ये दिन शादी के लिए बहुत ही शुभ है. इन 3 शुभ मुहूर्त के बाद 4 महीने तक शादी का कोई भी शुभ मुहूर्त नहीं है. इसके बाद देवउठनी एकादशी से शादी के शुभ मुहूर्त पड़ेंगे. देवउठनी एकादशी इस साल 4 नवंबर को पड़ रही है. 10 जुलाई के बाद तक शादी का कोई शुभ मुहूर्त नहीं है. ऐसे में जिन लोगों को शादी करनी है वे इन 10 जुलाई से पहले इन 3 शुभ मुहूर्त में भी कर सकते हैं.
क्यों नहीं होती हैं इन चार महीनों में शादी
हिंदू पंचांग के अनुसार देवशयनी एकादशी से 4 महीने के लिए विष्णु भगवान योग निद्रा में चले जाते हैं. इसे चातुर्मास भी कहा जाता है. मान्यताओं के अनुसार इन चार महीनों के लिए भगवान विष्णु सृष्टि का संचालन भगवान शिव को सौंप देते हैं. इस प्रकार 4 महीने तक भगवान शिव सृष्टि का संचालन करते हैं. विष्णु भगवान देवशयनी एकादशी से देवउठनी एकादशी तक योग निद्रा में रहते हैं. इन 4 महीनों में कोई भी मांगलिक कार्य करना वर्जित माना जाता है. इसमें शादी, सगाई और मुंडन जैसे मांगलिक कार्य शामिल हैं. इसलिए इन चार महीनों में कोई भी मांगलिक कार्य करने से बचें.
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