धर्म-अध्यात्म

जानें कामदा एकादशी की तिथि, मुहूर्त, पारण समय और महत्व

Kajal Dubey
4 April 2022 10:55 AM GMT
जानें कामदा एकादशी की तिथि, मुहूर्त, पारण समय और महत्व
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हर माह में दोनों पक्षों की एकादशी के दिन एकादशी व्रत रखा जाता है. हर एकादशी का अपना अलग महत्व होता है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हर माह में दोनों पक्षों की एकादशी के दिन एकादशी व्रत रखा जाता है. हर एकादशी का अपना अलग महत्व होता है. चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि कामदा एकादशी के नाम से जाना जाता है. हिंदू नववर्ष की ये पहली एकादशी होती है. एकादशी के दिन व्रत रखा जाता है और भगवान विष्णु की पूजा की जाती है. बता दें कि एकादशी का व्रत एक दिन पहले दशमी के दिन सूर्यास्त के बाद से शुरू हो जाता है और द्वादशी के दिन शुभ मुहूर्त में पारण किया जाता है.

इस बार कामदा एकादशी 12 अप्रैल, 2022 मंगलवार की पड़ रही है. धार्मिक मान्यता है कि कामदा एकादशी का व्रत रखने से सभी प्रकार की मनोकामनाओं की पूर्ति होती है. वहीं, किसी भी पाप का प्रायश्चित करने के लिए कामदा एकादशी का व्रत रखना चाहिए. पापों से मुक्ति के लिए एकादशी का व्रत बेहद अहम है. एकादशी के व्रत रखने से प्रेत योनी से भी मुक्ति मिलती है. आइए जानते हैं कामदा एकादशी की तिथि, पूजा मुहूर्त औक महत्व के बारे में.
कामदा एकादशी 2022 तिथि और पूजा मुहूर्त
पंचांग के अनुसार चैत्र शुक्ल की एकादशी तिथि 12 अप्रैल दिन मंगलवार प्रातः काल 04 बजकर 30 मिनट से आरंभ होगी. और 13 अप्रैल प्रात: 05 बजकर 02 मिनट पर तिथि का समापन होगा. उदयातिथि के आधार पर 12 अप्रैल को कामदा एकादशी का व्रत रखा जाएगा.
बता दें कि इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग प्रातः 05 बजकर 59 मिनट से लेकर सुबह 08 बजकर 35 मिनट तक है. वहीं, इसी दौरान रवि योग भी है. मान्यता है कि सर्वार्थ सिद्धि योग में भगवान विष्णु की पूजा करना विशेष फलदायी रहता है.
कामदा एकादशी 2022 पारण समय
एकादशी का पारण द्वादशी तिथि के दिन शुभ मुहूर्त के अनुसार ही किया जाता है. एकादशी व्रत का पारण अगर सही समय पर नहीं किया जाता, तो एकादशी के व्रत का पूर्ण फल नहीं मिलता. पारण 13 अप्रैल को किया जाएगा. पारण का सही समय दोपहर 01 बजकर 39 मिनट से शाम 04 बजकर 12 मिनट तक है.
कामदा एकादशी की पूजा विधि
इक दिन श्री हरि भगवान विष्णु को फल, फूल, दूध, तिल, पंचामृत आदि अर्पित किया जाता है. इस दिन व्रत कथा का श्रवण अवश्य करें. साथ ही, रात में भगवान विष्णु की आराधना करें और द्वादशी के दिन ब्राह्मण या किसी गरीब को भोजन कराने के बाद ही व्रत का पारण करें.


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