धर्म-अध्यात्म

जाने तुलसी के पौधे के अन्य लाभ के बारे में विस्तार से

Tara Tandi
4 Aug 2021 2:10 PM GMT
जाने तुलसी के पौधे के अन्य लाभ के बारे में विस्तार से
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सनातन परंपरा में तुलसी के पौधे को बहुत पूजनीय माना गया है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क| सनातन परंपरा में तुलसी के पौधे को बहुत पूजनीय माना गया है. विष्णुप्रिया कहलाने वाली तुलसी के भोग के बगैर भगवान विष्णु की पूजा अधूरी माना जाता है. मान्यता यह भी है कि एक तुलसी का पौधा आपके घर के सारे दोष को दूर कर देता है. यही कारण है कि इतनी पवित्रता और दिव्यता लिये इस पौधे को हर हिंदू अपने घर के आंगन, बालकनी और घर के द्वार आदि पर जरूर लगाता है और उसकी प्रतिदिन पूजा करता है. मान्यता है कि घर से निकलते समय यदि तुलसी जी के दर्शन हो जाए तो कार्य अवश्य सफल होता है. आइए ऐसे पावन पौधे के अन्य लाभ के बारे में विस्तार से जानते हैं –

मान्यता है कि जिस घर में तुलसी का पौधा होता है, वहां पर हमेशा पवित्रता बनी रहती है और नकारत्मकता दूर होती है.

तुलसी के पवित्र पौधे को घर के ईशान कोण में लगाना चाहिए. घर के इस दिशा में तुलसी का पौधा लगाने पर धन और ऐश्वर्य में वृद्धि होती है.

भगवान विष्णु के संग माता लक्ष्मी का आशीर्वाद पाने के लिए प्रतिदिन तुलसी के पौधे के सामने शाम को शुद्ध घी का दिया जलाएं.

प्रतिदिन तुलसी प्रसाद का सेवन करने वाले पर श्री हरि की कृपा बरसती है. प्रतिदिन दही और चीनी के साथ तुलसी के पत्तों का सेवन करना बहुत शुभ माना जाता है.

तुलसी के पौधे को मंगलवार, रविवार, एकादशी और सूर्य एवं चंद्र ग्रहण के समय नहीं छूना चाहिए. इस दिन न तो तुलसी के पौधे को लगाएं और न ही उसकी पत्तियों को तोड़े.

चूंकि तुलसी का पौधे का संबंध भगवान विष्णु से है, ऐसे में इसकी पवित्रता को हमेशा बनाए रखें. तुलसी के पौधे के आस–पास नियमित रूप से सफाई करें और इसके बगल में भूलकर भी चप्पल–जूते आदि चीजें न रखें.

मान्यता है कि तुलसी का पौधा आपके घर में आने वाली विपदा का पहले ही संकेत दे देता है. कहते हैं कि जब आपके घर में रखा तुलसी का पौधा सूखने लगे तो समझ लीजिए की जीवन में कुछ संकट आने वाला है. ऐसे में तुरंत उस पौधे को हटाकर वहां पर हरा और स्वस्थ तुलसी का पौधा लगा दें.

तुलसी के सूखे हुए पौधे को कभी भी कूड़े में नहीं फेंके बल्कि उसे मिट्टी के नीचे दबा दें या फिर किसी पवित्र नदी में प्रवाहित करें.

(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)

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