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ज्योतिष न्यूज़ : हिंदू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथि को बेहद ही खास माना गया है जो कि हर माह में एक बार आती है अभी मार्गशीर्ष मास चल रहा है और इस माह की अमावस्या आज यानी 12 दिसंबर दिन मंगलवार को पड़ी है मंगलवार के दिन अमावस्या पड़ने के कारण ही इसे भौमवती अमावस्या के नाम से भी जाना जा रहा है
इस दिन स्नान दान और पूजा पाठ का खास विधान होता है लेकिन इसी के साथ ही अगर मार्गशीर्ष अमावस्या के दिन पितरों का श्राद्ध तर्पण और पूजन किया जाए तो जीवन के सभी कष्टों का निवारण हो जाता है और पूर्वजों का आशीर्वाद तरक्की प्रदान करता है ऐसे में आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा अमावस्या पर पितृ पूजन की संपूर्ण विधि से अवगत करा रहे हैं जिससे आपको पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त हो सकता है।
मार्गशीर्ष अमावस्या का मुहूर्त—
हिंदू पंचांग के अनुसार मार्गशीर्ष मास की अमावस्या 12 दिसंबर को सुबह 6 बजकर 24 मिनट से आरंभ हो रही है जो कि 13 दिसंबर को सुबह 5 बजकर 1 मिनट पर समाप्त हो जाएगी। ऐसे में आज पितृ पूजन के लिए सुबह मुहूर्त 11 बजकर 54 मिनट से दोपहर 12 बजकर 35 मिनट तक प्राप्त हो रहा है।
मार्गशीर्ष अमावस्या पर पितृ पूजन की विधि—
मार्गशीर्ष मास की अमावस्या तिथि के स्वामी पितर देव माने जाते हैं ऐसे में पितृदोष से मुक्ति पाने के लिए ये दिन खास होता है अमावस्या तिथि पर दिन के आठवें मुहूर्त यानी 11 से 12 बजे के बीच में पितरों की पूजा करें इस वक्त पितरों के लिए तर्पण और धूप करें इसके साथ ही पंचबलि भोग निकालें और ब्राह्मण को भोजन कराएं। इसके बाद ही अपनी इच्छा अनुसार वस्त्र, अन्न, तिल, गुड़ या नमक का दान जरूर करें। मान्यता है कि अमावस्या तिथि पर ऐसा करने से पितृगण प्रसन्न हो जाते हैं और खुशहाली का आशीर्वाद प्रदान करते हैं जिससे परिवार की तरक्की होती है और वंश वृद्धि भी होने लगती है।
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