- Home
- /
- अन्य खबरें
- /
- धर्म-अध्यात्म
- /
- जानिए सावन में शिव जी...
धर्म-अध्यात्म
जानिए सावन में शिव जी को कैसे चढ़ाएं बेलपत्र और क्या है इसका महत्व
Tara Tandi
25 July 2022 11:06 AM GMT
x
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। इन दिनों सावन का महीना चल रहा है और भोले भंडारी के भक्त अपने-अपने तरीके से उनके साथ-साथ माता पार्वती की आराधना में जुटे हैं। ऐसी मान्यताएं है कि भगवान शिव की विधि विधान से पूजा अर्चना करने पर मनवांछित फल की प्राप्ति होती है। भगवान शिव सबसे दयालु है। एक लोटा जल चढ़ाने पर ही भगवान शिव प्रसन्न हो जाते हैं। सावन के महीने में भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए लोग रुद्राभिषेक व जलाभिषेक करते हैं। बड़ी तादाद में भक्त भगवान शिव की पूजा करते हुए शिवलिंग पर भांग धतूरा और बेलपत्र के साथ जलाभिषेक करते हैं।
मान्यता के मुताबिक भगवान शिव को बेलपत्र काफी पसंद है। बेलपत्र चढ़ाने से भगवान शिव काफी प्रसन्न होते हैं। सावन महीने में बेल वृक्ष के नीचे शिवलिंग की पूजा करने और बेलपत्र चढ़ाने से एक करोड़ कन्या दान के बराबर फल मिलता है। साथ ही सावन के महीने में बेल वृक्ष के नीचे भगवान शिव की पूजा करते हुए शिव तांडव स्त्रोत का पाठ करना बहुत फलदायी होता है। आइए जानते हैं सावन में शिव जी को कैसे चढ़ाएं बेलपत्र और क्या है इसका महत्व?
बेलपत्र चढ़ाने के नियम
- भगवान शिव को हमेशा उल्टा बेलपत्र यानी चिकनी सतह की तरफ का भाग स्पर्श कराते हुए ही बेलपत्र चढ़ाएं।
- बेलपत्र को हमेशा अनामिका, अंगूठे और मध्यमा अंगुली की मदद से चढ़ाएं और मध्य वाली पत्ती को पकड़कर शिवजी को अर्पित करें।
- शिव जी को कभी भी सिर्फ बिल्वपत्र अर्पण नहीं करें, बेलपत्र के साथ जल की धारा जरूर चढ़ाएं।
- बेलपत्र की तीन पत्तियां ही भगवान शिव को चढ़ाएं। अगर पांच पत्तों वाला बेलपत्र मिल जाता है तो वो बहुत फलदायी माना जाता है। ध्यान रखें पत्तियां कटी-फटी न हों।
कुछ तिथियों पर बेलपत्र तोड़ना वर्जित होता है।
- चतुर्थी, अष्टमी, नवमी, चतुर्दशी और अमावस्या को, संक्रांति के समय और सोमवार को बेल पत्र नहीं तोड़ना चाहिए। ऐसे में पूजा से एक दिन पूर्व ही बेल पत्र तोड़कर रख लिया जाता है।
- बेलपत्र कभी अशुद्ध नहीं होता। पहले से चढ़ाया हुआ बेलपत्र भी फिर से धोकर चढ़ाया जा सकता है।
माता पार्वती का स्वरूप माना जाता है बेलपत्र
स्कंद पुराण के मुताबिक एक बार माता पार्वती के पसीने की बूंद मंदराचल पर्वत पर गिर गई और उससे बेल का पेड़ निकल आया। माता पार्वती के पसीने से इस पेड़ की उत्पति होने से इसमें मां पार्वती के सभी रूप बसते हैं। माता पार्वती इसके तनों में माहेश्वरी के स्वरुप में, शाखाओं में दक्षिणायनी व पत्तियों में पार्वती के रूप में विराजती हैं। इसके फूलों में गौरी स्वरूप, फलों में कात्यायनी स्वरूप में निवास करती हैं। इसके साथ ही इसमें मां लक्ष्मी भी सभी स्वरूप में निवास करती हैं। मां पार्वती के सभी स्वरूपों का निवास होने की वजह से बेलपत्र शिव जी को चढ़ाने से वे प्रसन्न होते हैं और अपने भक्तों की समस्त मनोकामना पूरी करते हैं।
Tara Tandi
Next Story