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सावन के महीने में जिस तरह भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सोमवार के दिन व्रत किया जाता है.
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सावन के महीने में जिस तरह भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए सोमवार के दिन व्रत किया जाता है. उसी प्रकार सावन में मंगलवार के दिन माता पार्वती का आशीर्वाद पाने के लिए भी व्रत किया जाता है. आज यानि 19 जुलाई को सावन का पहला मंगला गौरी व्रत है. यह व्रत सुहागिन महिलाएं पति (Mangala Gauri Vrat Puja Vidhi) की लंबी उम्र के लिए करती हैं. साथ ही जो महिलाएं संतान प्राप्ति की कामना रखती हैं उनके लिए यह व्रत बहुत ही फलदायी साबित होता है. लेकिन व्रत करते समय पूरे विधि-विधान का ध्यान रखना बेहद आवश्यक है. आइए जानते हैं मंगला गौरी व्रत की पूजन विधि
इस विधि से करें मंगला गौरी व्रत
अगर आप भी मंगला गौरी व्रत कर रहे हैं तो इसे करने की विधि के बारे में जानकारी होना जरूरी है. क्योंकि विधि-विधान से किए गए व्रत ही फलदायी होते हैं.
मंगला गौरी व्रत के दिन सुबह उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र पहनें.
इसके बाद मंदिर की साफ सफाई करें और फिर वहां एक चौकी रखें. चौकरी पर लाल कपड़ा बिछाकर मां गौरी की मिट्टी की मूर्ति बनाकर स्थापित करें.
यदि मिट्टी की मूर्ति बनाना संभव न हो तो मां गौरी की तस्वीर भी लगा सकते हैं. इसके बाद हाथ में जल लेकर व्रत का संकल्प लें.
फिर मां गौरी को सिंदूर का तिलक लगाएं और आटे से बने दीपक में घी डालकर उसे प्रज्वलित करें.
मां गौरी को पूजन सामग्री में 16 चीजें चढ़ाई जाती है जिसमें पान, सुपारी, लौंग, इलायची, सुपारी, फल, पान, लड्डू, सुहाग की सामग्री और चूड़ियां शामिल हैं.
इसके अलावा पांच प्रकार के मेवे और सात प्रकार के अन्न भी जरूर अर्पित करें.
इसके बाद मां गौरी की व्रत कथा पढ़ें और आरती करें.
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