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जानिए कैसे एक सप्ताह में कॉपर के भाव में रिकॉर्ड तेजी, पहली तिमाही में हुआ था कम
Apurva Srivastav
10 May 2021 7:55 AM GMT

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बीते एक सप्ताह में कॉपर के भाव में रिकॉर्ड तेजी देखने को मिली है
बीते एक सप्ताह में कॉपर के भाव में रिकॉर्ड तेजी देखने को मिली है. पिछले साल के मुकाबले इस साल कॉपर का भाव बढ़कर करीब दोगुना हो गया है. इसके पहले साल 2011 में कॉपर का भाव रिकॉर्ड स्तर पर पहुंचा था. चीन में बढ़ती आर्थिक गतिविधियों के बीच कॉपर की मांग बढ़ रही है. इसके अलावा भी कई अन्य फैक्टर्स हैं, जिसकी वजह से कॉपर का भाव रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच चुका है.
दरअसल, ग्रीन एनर्जी की बढ़ती मांग में कॉपर अहम भूमिका निभाने वाला है. इलेक्ट्रिक कारों के बढ़ते चलन के बीच कॉपर की मांग बढ़ेगी, लिहाजा भाव में भी इजाफा होगा. शुक्रवार को लंदन मेटल एक्सचेंज पर कॉपर का भाव 10,440 डॉलर के स्तर तक पहुंच चुका है. इलेक्ट्रिक और थर्मल कंडक्टर होने की वजह से कई तरह के काम में कॉपर का इस्तेमाल हो रहा है.
पिछले साल की पहली तिमाही में कम हुआ था कॉपर का भाव
कॉपर का इस्तेमाल हेवी इंडस्ट्री, कंस्ट्रक्शन और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में बड़े स्तर पर होता है. इसलिए कॉपर के बढ़ते मांग को वैश्विक अर्थव्यवस्था में रिकवरी के रूप में देखा जा रहा है. 2019 में चीन के वुहान शहर में कोविड का पहला मामला सामने आने के साथ ही सबसे पहला असर कॉपर के मार्केट पर ही देखने को मिला था. यही कारण है कि पिछले साल जनवरी-मार्च के दौरान कॉपर के दाम में भारी गिरावट देखने को मिली थी. दुनिया में कॉपर की खपत सबसे ज्यादा चीन में ही होता है.
इन वजहों से बढ़ रहा कॉपर का भाव
लेकिन केवल चीन ही नहीं है जिसकी वजह से कॉपर के भाव में इतनी बड़ी तेजी देखने को मिल रही है. चिली में दुनियाभर के कुल उत्पादन का करीब एक चौथाई उत्पादन होता है. लेकिन, यहां के वर्कर्स ने एक सरकारी बिल का विरोध किया था. इसके बाद कुछ दिन उत्पादन का काम ठप रहा. इसके अलावा दक्षिण अफ्रीका में कोविड-19 की वजह से लोहा अयस्क और कॉपर जैसे कई प्रमुख कमोडिटी के निर्यात पर असर पड़ा है.
कॉपर इन्वेन्टरी में गिरावट
लंदन मेटल एक्सचेंज पर रजिस्टर्ड कॉपर इन्वेन्टरीज में भारी गिरावट देखने को मिली है. एनलिस्ट्स का अनुमान है कि इसमें आगे भी गिरावट का दौर देखने को मिला है. 26 अप्रैल 2021 तक लंदन मेटल एक्सचेंज पर कॉपर इन्वेन्टरी करीब 1,55,100 टन ही था. पिछले महीने दूसरे पखवाड़े में यह 10 फीसदी तक कम हुआ है.
चीन में इस साल कंस्ट्रक्शन गतिविधियां बढ़ी हैं. इसके बाद चीन में कॉपर की मांग में भी इजाफा हुआ है. बता दें कि दुनियाभर में कॉपर की कुल खपत का आधा हिस्सा चीन का ही है. एनलिस्ट्स का कहना है कि चीन में सबसे ज्यादा कॉपर की खपत होती है और अब यहां बड़े पैमाने पर कंस्ट्रक्शन की वजह से मांग बढ़ी है. यह भी एक कारण है कि कॉपर के भाव में तेजी देखने को मिल रही है.
अमेरिका में आर्थिक विकास में अब तेजी की उम्मीद की जा रही है. वैश्विक अर्थव्यवस्थाओं पर भी इसका असर पड़ेगा. कोविड-19 संकट के दौर में दुनियाभर के देशों ने प्रोत्साहन पैकेज का ऐलान किया है. दूसरी ओर कोरोना वैक्सीन को लेकर भी अच्छी खबरें ही आ रही हैं. कॉपर के भाव पर इन दोनों फैक्टर्स का असर पड़ा है.
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