धर्म-अध्यात्म

Jagannath Rath Yatra : भगवान जगन्नाथ के रथ कितने पहिए होते है जानिए

Kavita2
22 Jun 2024 9:12 AM GMT
Jagannath Rath Yatra :  भगवान जगन्नाथ के रथ कितने पहिए होते है जानिए
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Jagannath Rath Yatra : ओडिशा के पुरी शहर में हर साल बेहद उत्साह के साथ भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा निकाली जाती है। इस भव्य यात्रा में शामिल होने के लिए भक्त दूर-दूर से आते हैं। यह उत्सव पूरे 10 दिनों तक मनाया जाता है। इस बार जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत 07 जुलाई (Jagannath Rath Yatra 2024 Date) से हो रही है।
धार्मिक मान्यता है There is a religious belief कि रथ यात्रा में शामिल और प्रभु के दर्शन करने से साधक को बुरे पापों से छुटकारा मिलता है। साथ ही जगत के पालनहार भगवान विष्णु और मां लक्ष्मी की कृपा प्राप्त होती है। भगवान जगन्नाथ अपने बड़े भाई बलराम और छोटी बहन सुभद्रा के साथ अलग-अलग रथों पर सवार होकर नगर के भ्रमण करने के लिए निकलते हैं। ऐसे में आइए जानते हैं इन रथ की खासियत और अन्य जानकारी।
परंपरा अनुसार, भगवान जगन्नाथ, बलभद्र जी और बहन सुभद्रा अपनी मौसी के घर गुंडिचा मंदिर जाते हैं। जहां उनके बेहद उत्साह के साथ लोग स्वागत करते हैं। वह मौसी के घर कुछ दिन विश्राम कर पुनः अपने घर लौट आते हैं।
इस दिन से शुरू होगी भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा
पंचांग के अनुसार, आषाढ़ माह के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि की शुरुआत 07 जुलाई, 2024 को सुबह 04 बजकर 26 मिनट पर होगी। वहीं इसका समापन 08 जुलाई, 2024 को सुबह 04 बजकर 59 मिनट पर होगा। ऐसे में जगन्नाथ रथ यात्रा की शुरुआत 07 जुलाई से हो रही है।
यात्रा में होते हैं 3 रथ
रथ यात्रा Chariot Festival के लिए 3 रथ बनाए जाते हैं। भगवान जगन्नाथ, बहन सुभद्रा और भाई बलभद्रLord Jagannath, sister Subhadra and brother Balabhadra अलग-अलग रथ पर सवार होते हैं। कहा जाता है कि इन रथों को 884 पेड़ों की लकड़ियों की मदद से बनाया जाता है। सबसे खास बात दें कि इन रथों को बनाने के लिए किसी भी धातु और कील का प्रयोग नहीं किया जाता है। भगवान जगन्नाथ के रथ में 16 पहिये होते हैं। रथ को शंखचूड़ रस्सी से खींचा जाता है।
इसलिए निकाली जाती है यात्रा
पद्म पुराण के अनुसार, भगवान जगन्नाथ की बहन सुभद्रा Subhadra, sister of Lord Jagannathने एक बार नगर देखने की इच्छा जताई। ऐसे में भगवान जगन्नाथ ने उनको रथ पर बैठाकर नगर का भ्रमण कराया। यात्रा के दौरान वह अपनी मौसी के घर भी गए। जहां वह 7 दिन तक रुके। धार्मिक मान्यता है कि तभी से हर वर्ष भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाती है।
इस दिन से शुरू होती है रथ के निर्माण की प्रक्रिया
भगवान जगन्नाथ यात्रा में शामिल होने वाले रथ को बेहद सुंदर तरीके से बनाया जाता है। रथ को बनाने के दौरान कई बातों का विशेष ध्यान रखा जाता है। इस रथ को बनाने की प्रक्रिया अक्षय तृतीया से होती है। लकड़ियों की पूजा-अर्चना करने के बाद रथ का निर्माण कार्य शुरू होता है।
रथ यात्रा का धार्मिक महत्व
भगवान जगन्नाथ रथ यात्रा lord jagannath rath yatra देश के अलावा विश्वभर में बेहद प्रसिद्ध है। यात्रा भगवान जगन्नाथ को समर्पित है, जो जगत के पालनहार भगवान विष्णु अवतार माने जाते हैं। सनातन धर्म में आस्था का मुख्य केंद्र होने की वजह से इसका धार्मिक महत्व अधिक बढ़ जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस यात्रा में शामिल होने से साधक को मरणोपरान्त मोक्ष की प्राप्ति होती है। यात्रा में शामिल होने के लिए देश-विदेश से श्रद्धालु अधिक संख्या में आते हैं।
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