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Pilgrimage to Amarnaath: जानें, कैसे पड़ा बाबा बर्फानी की गुफा का नाम अमरनाथ
Pilgrimage to Amarnaath: पवित्र तीर्थस्थल अमरनाथAmarnath धाम (अमरनाथ यात्रा 2024) के लिए उपयुक्त है। धार्मिक मान्यता यह है कि बाबा बर्फानी के दर्शन करने से मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है और भोलेनाथ अपने भक्तों के सभी संकट दूर करते हैं। क्या आपको पता है कि बाबा बर्फानी की गुफा का नाम अमरनाथ कैसे पड़ा? हर साल बाबा बर्फानी के दर्शन करने के लिए अमरनाथ यात्रा की शुरुआत होती है। इस यात्रा में अधिक संख्या में शिव भक्त शामिल होते हैं। बेहद कठिन मोटिवेशन के बाद भी बेहद खास उत्साह देखने को मिलता है। भगवान शिव के नाम का जप कर यात्रा को पूरी कर बाबा बर्फानी के दर्शन करते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार भगवान शिव ने मां पार्वती को मोक्ष का मार्ग दिखाया था। मां पार्वती ने महादेव से मार्ग जानने की इच्छा जताई। इसके बाद शिव जी ने मां पार्वती Parvatiको अमरत्व की कथा सुनाई। इस दौरान वहां पर दो कबूतर भी मौजूद थे। कबूतर के जोड़े ने अमृतज्ञान की कथा सुन ली, जिसके बाद कबूतर का जोड़ा अमर हो गया। स्वामीजी ने गुफा में उन्हें देखने का भी दवा किया है। अमर कथा साक्षी होने की वजह से इस गुफा को अमरनाथ गुफा कहा जाता है। महादेव ने अमरनाथ गुफा में जाने से पूर्व महागुण पर्वत पर अपने पुत्र गणपति बप्पा को विराजमान किया था।इसके बाद उसने सर्प का त्याग कर दिया और उसका नाम शेषनाग पड़ा। अंत में उन्होंने जटाओं में मां गंगा का त्याग कर दिया। उस स्थान का नाम पंचतरणी के नाम से जाना गया। प्रत्येक वर्ष अमरनाथ की यात्रा का प्रारंभ आषाढ़ माह से होता है, जिसका समापन रक्षाबंधन पर होता है। वर्ष 2024 में 29 जून से हो गया है। इसके अलावा, 19 अगस्त को समाप्त होगी।