धर्म-अध्यात्म

जानिए गुड़ी पड़वा 2022 तिथि एवं मुहूर्त

Ritisha Jaiswal
29 March 2022 8:10 AM GMT
जानिए गुड़ी पड़वा 2022 तिथि एवं मुहूर्त
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तिथि के आधार पर चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गुड़ी पड़वा मनाया जाता है

तिथि के आधार पर चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि को गुड़ी पड़वा मनाया जाता है. इस दिन चैत्र नवरात्रि का भी प्रारंभ होता है. गुड़ी पड़वा से नया संवत्सर प्रारंभ होता है. गुड़ी पड़वा को उगादी और संवत्सर पडवो भी कहते हैं. इसे मुख्यत: महाराष्ट्र, कर्नाटक, गोवा और आंध्र प्रदेश में मनाया जाता है. ये लोग गुड़ी पड़वा को नया साल के पहले दिन के रुप में मनाते हैं. इस दिन चैत्र नवरात्रि का प्रथम दिन होता है और मां दुर्गा की पूजा के लिए घरों में कलश स्थापना किया जाता है, उसके बाद मां शैत्रपुत्री की पूजा करते हैं. आइए जानते हैं गुड़ी पड़वा की तिथि, मुहूर्त (Gudi Padwa 2022 Puja Muhurat) एवं महत्व (Importance Of Gudi Padwa) के बारे में.

गुड़ी पड़वा 2022 तिथि एवं मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, 01 अप्रैल शुक्रवार को दिन में 11:53 बजे से चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि शुरु हो रही है. यह तिथि अगले दिन 02 अप्रैल शनिवार को 11:58 बजे तक है. ऐसे में गुड़ी पड़वा 02 अप्रैल को मनाया जाएगा
गुड़ी पड़वा पर इंद्र योग, अमृत सिद्धि योग एवं सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है. 02 अप्रैल को इंद्र योग सुबह 08:31 बजे तक है. अमृत सिद्धि योग एवं सर्वार्थ सिद्धि योग 01 अप्रैल को सुबह 10 बजकर 40 मिनट से 02 अप्रैल को सुबह 06 बजकर 10 मिनट तक हैं. रेवती नक्षत्र गुड़ी पड़वा को दिन में 11:21 बजे तक है. उसके बाद अश्विनी नक्षत्र शुरु होगा.
गुड़ी पड़वा का महत्व
गुड़ी का अर्थ विजय पताका एवं पड़वा मतलब प्रतिपदा. धार्मिक मान्यता के अनुसार, गुड़ी पड़वा यानी चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को बह्मा जी ने सृष्टि की रचना प्रारंभ की थी. इस दिन ही सतयुग शुरु हुआ था. यह भी कहा जाता है कि प्रभु श्रीराम ने राक्षसराज रावण का वध​ करके लंका पर विजय प्राप्त की थी, उसकी खुशी में गुड़ी पड़वा मनाते हैं.
एक मान्यता यह भी है कि चैत्र शुक्ल प्रतिपदा को शालिवाहन ने शक को हराया था. शालिवाहन नाम के मिट्टी की सेना से शक को पराजित किया था. इस तिथि से शालिवाहन शक या शालिवाहन संवत् की शुरुआत की गई थी.गुड़ी पड़वा के अवसर पर घरों में ध्वज लगाते हैं और उसे सजाते हैं. इस दिन भगवान श्रीराम और मां दुर्गा की पूजा करने का विधान है.


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