धर्म-अध्यात्म

जानिए वरद चतुर्थी पर करें गणेश जी के इन मंत्रों का जाप

Teja
5 Jan 2022 8:23 AM GMT
जानिए वरद चतुर्थी पर करें गणेश जी के इन मंत्रों का जाप
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हिंदी पंचांग के अनुसार, 6 जनवरी को वरद चतुर्थी है। यह पर्व पौष महीने में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | हिंदी पंचांग के अनुसार, 6 जनवरी को वरद चतुर्थी है। यह पर्व पौष महीने में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाई जाती है। इस दिन भगवान गणेश जी की पूजा-उपासना की जाती है। शास्त्रों में निहित है कि बुधवार का दिन भगवान गणेश जी को समर्पित है। अत: हर बुधवार को भी गणेश जी की पूजा-आराधना की जाती है। भगवान गणेश को कई नामों से जाना जाता है। इनमें एक नाम विघ्नहर्ता है। धार्मिक मान्यता है कि जो व्यक्ति सच्ची श्रद्धा से भगवान गणेश की पूजा-उपासना करता है। उस व्यक्ति की सभी मनोरथ सिद्ध होते हैं। साथ ही जीवन में व्याप्त दु:ख-क्लेश दूर हो जाते हैं। साधक 6 जनवरी को दिन में 11 बजकर 15 मिनट से लेकर दोपहर में 12 बजकर 29 मिनट तक भगवान श्री गणेश की पूजा-उपासना कर सकते हैं। इसके अलावा, चौघड़िया मुहूर्त में भी साधक गणपति बप्पा की पूजा कर सकते हैं। अगर आप भी गणपति की कृपा पाना चाहते हैं, तो वरद चतुर्थी पर गणेश जी के इन मंत्रों का जाप करें-

1.
वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ।
निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥
इस मंत्र का अर्थ है- हे गणपति महराज प्रभु! आप विशालकाल शरीर वाले, सहस्त्र सूर्य के समतुल्य महान है। आप मेरे सभी विघ्नों को हर लें और सभी बिगड़े काम बना दें। अपनी कृपा मुझ पर बनाए रखें। इस मंत्र के जाप से व्यक्ति के सभी काम बन जाते हैं।
2.
गजाननं भूतगणाधिसेवितं,
कपित्थजम्बूफलचारुभक्षणम्।
उमासुतं शोकविनाशकारकम्न,
मामि विघ्नेश्वरपादपङ्कजम्॥
3.
कृपा करो गणनाथ
प्रभु-शुभता कर दें साथ।
रिद्धि-सिद्धि शुभ ला
प्रभु, सब हैं तेरे पास।।
4.
'ओम गं गणपतये नमः':
5.
ओम ॐ श्रीं गं सौम्याय गणपतये
6.
ॐ वक्रतुण्डैक दंष्ट्राय क्लीं ह्रीं श्रीं गं गणपते
वर वरद सर्वजनं मे वशमानय स्वाहा।
इस मंत्र जाप से व्यक्ति को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही शत्रूओं का दमन होता है। इस मंत्र का कम से कम 11 बार जरूर जाप करें।
गणेश जी की आरती
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा।
माताजाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
एकदंत, दयावन्त, चार भुजाधारी,
माथे सिन्दूर सोहे, मूस की सवारी।
पान चढ़े, फूल चढ़े और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा।।
जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश, देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया।
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया।।
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा।।
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा।।
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी।


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