धर्म-अध्यात्म

जानिए चाणक्य की ऐसी नीतियाँ जिसमें कभी-भी सुख, शांति और समृद्धि व्यक्ति को छोड़कर नहीं जा सकती

Nilmani Pal
13 Oct 2020 11:19 AM GMT
जानिए चाणक्य की ऐसी नीतियाँ जिसमें कभी-भी सुख, शांति और समृद्धि  व्यक्ति को छोड़कर नहीं जा सकती
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चाणक्य की चाणक्य नीति व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ने और सफल बनने के लिए प्रेरित करती है
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चाणक्य के अनुसार जीवन में व्यक्ति सुख और शांति की तलाश के लिए तरह तरह के जतन करता है. लेकिन कुछ ही लोग ऐसा करने में सफल हो पाते हैं. सुख, शांति और समृद्धि किसी भी संसाधनों से प्राप्त नहीं की जा सकती है. चाणक्य के मानें व्यक्ति के जीवन में सुख, शांति तभी आती है जब उसमें कुछ विशेष गुण हों यानि जब तक व्यक्ति अवगुणों से घिरा हुआ है तब तक सुख, शांति और समृद्धि उससे दूर ही रहती है.

चाणक्य एक शिक्षक होने के साथ साथ एक विद्वान और विलक्षण प्रतिभा के धनी थे. चाणक्य को विभिन्न विषयों की गहरी जानकारी थी. चाणक्य ने विषयों के अध्ययन और अनुभव के आधार पर जो भी जाना और समझा उसे अपनी चाणक्य नीति में स्थान दिया. चाणक्य की चाणक्य नीति व्यक्ति को जीवन में आगे बढ़ने और सफल बनने के लिए प्रेरित करती है. यही वजह है कि चाणक्य नीति की शिक्षाएं आज भी प्रासंगिक हैं. चाणक्य के अनुसार जीवन में यदि सुख शांति और समृद्धि चाहिए तो इन बातों को कभी नहीं भूलना चाहिए.

लालच का त्याग करें

चाणक्य के अनुसार लालच एक ऐसी बुरी आदत है जो व्यक्ति को सुख और शांति से दूर रखती है. लालच व्यक्ति को चैन से सोने नहीं देता है, व्यक्ति सदैव ही दूसरों की सफलता से जलता रहता है. मन में बुरे विचार लाता है और अपनी ऊर्जा का नाश करता है. जिस कारण व्यक्ति चाह कर भी परिश्रम नहीं कर पाता है और असफलता मिलने पर तनाव और नकारात्मक ऊर्जा से घिर जाता है. इसलिए जीवन में सुख और शांति चाहते हैं तो लालच से दूर ही रहें.

दूसरों को क्षमा करें

चाणक्य के अनुसार जो व्यक्ति जीवन में क्षमा करना सीख जाता है वह सभी प्रकार के दुखों से मुक्ति पा लेता है. क्षमा करना एक श्रेष्ठ गुण है. क्षमा करने से व्यक्ति महान बनता है और दूसरों के लिए प्रेरणा का काम करता है. क्षमा करने से शांति मिलती है.

निंदा रस से दूर रहें

चाणक्य के अनुसार व्यक्ति को निंदा रस से दूर ही रहना चाहिए. निंदा करना एक बुरी आदत है. समय रहते यदि इससे दूरी न बनाई जाए तो व्यक्ति को इसमें आनंद आने लगता है और धीरे धीरे वह भी बुराईयों को अपनाने लगता है. निंदारस से जीवन में समृद्धि नहीं आती है. इसलिए इससे दूर ही रहना चाहिए.

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