धर्म-अध्यात्म

जानिए मां महागौरी की इस चमत्कारी चालीसा के बारे में....

Tara Tandi
7 April 2022 5:44 AM GMT
जानिए मां महागौरी की इस चमत्कारी चालीसा के बारे में....
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जानिए मां महागौरी की इस चमत्कारी चालीसा के बारे में....

चैत्र नवरात्रि के पावन दिन चल रहे हैं। इन नौ दिनों में माता रानी के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। चैत्र नवरात्रि के पावन दिन चल रहे हैं। इन नौ दिनों में माता रानी के नौ अलग-अलग स्वरूपों की पूजा की जाती है। वहीं आंठवें दिन यानी कि अष्टमी तिथि को माता महागौरी की पूजा का विधान है। इस बार अष्टमी तिथि 09 अप्रैल को पड़ रही है। इस दिन विशेष महत्व है। कहा जाता है कि ये तिथि शुभ फल प्राप्ति हेतु काफी ज्यादा लाभ दायक है। मान्यता है कि मां महागौरी की विधि-विधान से पूजा करने वाले भक्तों के सारे बिगड़े काम बन जाते हैं। अष्टमी तिथि को मां महागौरी की पूजा के साथ उनका पाठ करने से शादी में आने वाली हर तरह की दिक्कतें दूर हो जाती हैं और वैवाहिक जीवन की सभी परेशानियां नष्ट हो जाती हैं। मान्यता है कि मां महागौरी की चालीसा पढ़ने या सुनने से रिश्ते में खुशहाली पनपने लगती है। तो चलिए जानते हैं मां महागौरी की इस चमत्कारी चालीसा के बारे में....

मन मंदिर मेरे आन बसो, आरम्भ करूं गुणगान,
गौरी माँ मातेश्वरी, दो चरणों का ध्यान।
पूजन विधी न जानती, पर श्रद्धा है आपर,
प्रणाम मेरा स्विकारिये, हे माँ प्राण आधार।
नमो नमो हे गौरी माता, आप हो मेरी भाग्य विधाता,
शरनागत न कभी गभराता, गौरी उमा शंकरी माता।
आपका प्रिय है आदर पाता, जय हो कार्तिकेय गणेश की माता,
महादेव गणपति संग आओ, मेरे सकल कलेश मिटाओ।
सार्थक हो जाए जग में जीना, सत्कर्मो से कभी हटु ना,
सकल मनोरथ पूर्ण कीजो, सुख सुविधा वरदान में दीज्यो।
हे माँ भाग्य रेखा जगा दो, मन भावन सुयोग मिला दो,
मन को भाए वो वर चाहु, ससुराल पक्ष का स्नेहा मै पायु।
परम आराध्या आप हो मेरी, फ़िर क्यूं वर मे इतनी देरी,
हमरे काज सम्पूर्ण कीजियो, थोडे में बरकत भर दीजियो।
अपनी दया बनाए रखना, भक्ति भाव जगाये रखना,
गौरी माता अनसन रहना, कभी न खोयूं मन का चैना।
मां महागौरी चालीसा
देव मुनि सब शीश नवाते, सुख सुविधा को वर मै पाते,
श्रद्धा भाव जो ले कर आया, बिन मांगे भी सब कुछ पाया।
हर संकट से उसे उबारा, आगे बढ़ के दिया सहारा,
जब भी माँ आप स्नेह दिखलावे, निराश मन मे आस जगावे।
शिव भी आपका काहा ना टाले, दया द्रष्टि हम पे डाले,
जो जन करता आपका ध्यान, जग मे पाए मान सम्मान।
सच्चे मन जो सुमिरन करती, उसके सुहाग की रक्षा करती,
दया द्रष्टि जब माँ डाले, भव सागर से पार उतारे।
जपे जो ओम नमः शिवाय, शिव परिवार का स्नेहा वो पाए,
जिसपे आप दया दिखावे, दुष्ट आत्मा नहीं सतावे।
सता गुन की हो दता आप, हर इक मन की ग्याता आप,
काटो हमरे सकल कलेश, निरोग रहे परिवार हमेश।
दुख संताप मिटा देना माँ, मेघ दया के बरसा देना माँ,
जबही आप मौज में आय, हठ जय माँ सब विपदाए।
जीसपे दयाल हो माता आप, उसका बढ़ता पुण्य प्रताप,
फल-फूल मै दुग्ध चढ़ाऊ, श्रद्धा भाव से आपको ध्यायु।
अवगुन मेरे ढक देना माँ, ममता आँचल कर देना माँ,
कठिन नहीं कुछ आपको माता, जग ठुकराया दया को पाता।
बिन पाऊ न गुन माँ तेरे, नाम धाम स्वरूप बहू तेरे,
जितने आपके पावन धाम, सब धामो को माँ प्राणम।
आपकी दया का है ना पार, तभी को पूजे कुल संसार,
निर्मल मन जो शरण मे आता, मुक्ति की वो युक्ति पाता।
संतोष धन्न से दामन भर दो, असम्भव को माँ सम्भव कर दो,
आपकी दया के भारे, सुखी बसे मेरा परिवार।
अपकी महिमा अती निराली, भक्तो के दुःख हरने वाली,
मनो कामना पुरन करती, मन की दुविधा पल मे हरती।
चालीसा जो भी पढे-सुनाया, सुयोग वर् वरदान मे पाए,
आशा पूर्ण कर देना माँ, सुमंगल साखी वर देना माँ।
गौरी माँ विनती करूँ, आना आपके द्वार,
ऐसी माँ कृपा किजिये, हो जाए उद्धहार।
हीं हीं हीं शरण मे, दो चरणों का ध्यान,
ऐसी माँ कृपा कीजिये, पाऊँ मान सम्मान।
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