धर्म-अध्यात्म

जानिए मार्गशीर्ष मास में आने वाले त्योहारों के बारे में...

Tara Tandi
15 Nov 2022 12:38 PM GMT
जानिए मार्गशीर्ष मास में आने वाले त्योहारों के बारे में...
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हिंदू धर्म में सभी 12 महीनों का अलग-अलग महत्व बताया गया है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में सभी 12 महीनों का अलग-अलग महत्व बताया गया है। हर महीने को एक विशेष देवता या एक विशेष पर्व के साथ जोड़ कर उस पूरे माह के लिए दिशा-निर्देश दिए गए हैं। अभी मार्गशीर्ष माह चल रहा है। माना जाता है कि इसी मास में भगवान श्रीकृष्ण ने अर्जुन को 'श्रीमद्भागवत गीता' का ज्ञान दिया था। इसी से इस मार्गशीर्ष का महत्व और भी अधिक हो गया है। ज्योतिषियों के अनुसार इस महीने में कुछ देवी-देवताओं की आराधना करने से विशेष लाभ होता है।

जानिए मार्गशीर्ष माह में आने वाले पर्व तथा त्यौहारों के बारे में (Hindu Festival 2022)
कालभैरव जयंती या काल भैरव अष्टमी (Kaal Bhairav Ashtami)
इस माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी (16 नवंबर) को कालभैरव अष्टमी (Kaal Bhairav Ashtami) मनाई जाएगी। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार इस दिन भगवान कालभैरव की पूजा करने से समस्त प्रकार के कष्ट दूर होते हैं। इस दिन भैरव जी के निमित्त कुछ उपाय करें तो व्यक्ति बहुत जल्दी धनलाभ भी प्राप्त कर सकता है।
एकादशी व्रत (Ekadashi Vrat)
मार्गशीर्ष माह में उत्पन्ना एकादशी (20 नवंबर) तथा मोक्षदा एकादशी (3 दिसंबर) आती हैं। इन दोनों ही एकादशियों को व्रत (Ekadashi Vrat) रखा जाता है तथा पापों के निवारण हेतु पूजा-पाठ किए जाते हैं।
अमावस्या (Amavasya)
हिंदू धर्म में अमावस्या को पितरों के लिए पर्व के समान बताया गया है। इस दिन पितृ-तर्पण तथा श्राद्ध आदि कर्मकांड किए जाते हैं। मार्गशीर्ष माह की अमावस्या (23 नवंबर) को आप भी उनके निमित्त श्राद्ध-तर्पण तथा अन्य कर्मकांड कर सकते हैं। इससे पितरों का आशीर्वाद मिलता है तथा घर-परिवार पर आने वाले सभी संकट टलते हैं।
श्रीकृष्ण पूजा
इस माह में श्रीमद्भागवत गीता का रहस्योद्घाटन होने के कारण यह वैष्णवों के लिए विशेष रूप से पूज्य माह है। पंचांग के अनुसार 4 दिसंबर 2022 को गीता जयंती मनाई जाएगी। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की पूजा की जाती है तथा समस्य वैष्णव मंदिरों में पूजा-पाठ एवं कीर्तन का आयोजन होता है।
पूर्णिमा व्रत (Purnima Vrat)
मार्गशीर्ष माह की पूर्णिमा (8 दिसंबर) को भगवान विष्णु तथा भगवान सत्यनारायण की पूजा की जाती है। इस व्रत के प्रभाव से व्यक्ति पर आने वाले दैहिक, दैविक और भौतिक कष्ट दूर होते हैं और उसे समस्त प्रकार के सुख प्राप्त होते हैं।

न्यूज़ क्रेडिट: news24

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