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धर्म-अध्यात्म
जानिए मां अहिल्या बाई की नगरी के मंदिरों के बारे में
Apurva Srivastav
11 Feb 2023 2:42 PM GMT
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अगर बात इस मंदिर के निर्माण की करी जाए तो यह लगभग 109 साल से पहले किया गया था
इंदौर.मां अहिल्या बाई की नगरी में कई प्राचीन और विश्वसनीय मंदिर है।अगर बात इंदौर के भगवान गणेश जी के मंदिर की करी जाए तो यहां भगवान गणेश के अनगिनत ऐसे मंदिर हैं जो संभवतः किसी भी दूसरे शहर या कस्बे में देखने या सुनने को नहीं मिलेंगे। यह सब मंदिर अपनी वास्तुकला और मान्यताओं से अद्भुत है, जिसे देखकर लगता है कि इंदौर के साथ भगवान गणेश जी का रिश्ता भी संभवतः आदिकाल से और युगों-युगों से कुछ न कुछ विशेष ही रहा होगा, गणपति जी के मंदिर के पास स्थित चौराहे को बड़ा गणपति चौराहे से जाना जाता है।
अगर इस मंदिर की अद्भुत कला और निर्माण को देखा जाए तो, भगवान गणेश जी की यहां 25 फीट ऊंची प्रतिमा विराजमान है। कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण लगभग 110 साल पूर्व उज्जैन के एक गणेश भक्त दाधीच ने भगवान गणेश को स्वप्न में देखा। और सुबह उठकर उन्होंने स्थानीय लोगों से चर्चा कर वहां मंदिर बनवाने का फैसला किया।
इन चीजों से बना है भगवान गणेश जी का मंदिर
अगर बात इस मंदिर के निर्माण की करी जाए तो यह लगभग 109 साल से पहले किया गया था। उस समय मशीनरी नही हुआ करती थी, लेकिन मंदिर की वास्तुकला और निर्माण काफी नक्काशी से किया गया है। वहीं गणेश जी की विशाल मूर्ति निर्माण में चूना पत्थर, गूढ़, बालु, मैथी दाना, मिट्टी, सोना, चांदी, लोहा, अष्टधातु, नो रत्न और देश की सारी पवित्र नदियों के जल से इसे बनाया गया है। अगर बात मूर्ति के चारों ओर के ढांचे की बात की जाए तो, यह सोन, चांदी, तांबे, पीतल, और मजबूती के लिए लोहे का इस्तेमाल किया गया है।इस मंदिर को बनाने में लगभग 3 साल का समय लगा था, वहीं इसे चार फीट ऊंचाई पर रखा गया है जिससे गणेश जी की विशाल मूर्ति दिखाई देती है।
13 साल खुले आकाश के नीचे विराजे गणेश जी
कहा जाता है, कि प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा के 13 साल बाद तक गणेश जी के इस मंदिर पर कोई छत नहीं थी, और गणपति खुले आकाश के नीचे विराजे थे, बाद में अस्थाई छत का निर्माण किया गया था। 1954 में स्थाई छत का निर्माण किया गया.
साल में चार बार होता है प्रतिमा का श्रंगार
भगवान गणेश जी की इस मनमोहक और विशाल मूर्ति का श्रृंगार वर्ष में चार बार किया जाता है, इसे सजाने में करीब 15 दिन का समय लगता है। वहीं वर्ष में चार बार यह चोला चढ़ाया जाता है। जिसमें भाद्रपद सुदी चतुर्थी, कार्तिक बदी चतुर्थी, माघ बदी चतुर्थी और बैशाख सुदी चतुर्थी पर चोला और सुंदर वस्त्रों से श्रृंगार किया जाता है। वहीं चोले में सवा मन घी और सिंदूर का उपयोग किया जाता है। इस विशाल मूर्ति को गणेश उत्सव पर खास रूप से सजाया जाता है, यहां दर्शन के लिए कई लोग आते है, और अपने सुखमय जीवन की मनोकामना करते हैं।
गणेश चतुर्थी पर होती है धूम
शहर के इस प्रसिद्ध मंदिर में गणेश चतुर्थी की अगर बात की जाए तो यहां का नज़ारा काफी धूम धाम से भरा होता है। कई लोग बाहर से गणेश जी के दर्शन के लिए आते है। और यहां पर चढ़ावे के रूप में फूल मालाएं, मोतीचूर के लड्डू, मिठाई, मोदक और अन्य चीजों का भोग लगाते है।
Apurva Srivastav
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