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धर्म-अध्यात्म
पौष महीने में मनाएं जानें वाला प्रमुख व्रत के बारे में
Ritisha Jaiswal
19 Dec 2021 5:04 AM GMT
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हिंदी पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि के बाद नए महीने की शुरुआत होती है। इस तरह मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा के बाद पौष माह की शुरुआत होगी।
Paush 2021: हिंदी पंचांग के अनुसार, पूर्णिमा तिथि के बाद नए महीने की शुरुआत होती है। इस तरह मार्गशीर्ष महीने की पूर्णिमा के बाद पौष माह की शुरुआत होगी। इस प्रकार पौष महीने की शुरुआत 20 दिसंबर से हो रही है। वहीं, मार्गशीर्ष महीने का समापन 17 पूर्णिमा को होगी। वहीं, 18 जनवरी से माघ महीने की शुरुआत होगी। पौष महीने में कई प्रमुख व्रत त्यौहार मनाए जाते हैं। आइए, पौष महीने में सभी व्रत तिथि के बारे में से जानते है-
पौष माह के व्रत और त्योहार इस तिथि प्रकार हैं-
-21 दिसंबर को वर्ष का सबसे छोटा दिन है।
-22 दिसंबर को अखुरथ संकष्टी चतुर्थी है।
-25 दिसंबर को बड़ा दिन और क्रिसमस है।
-26 दिसंबर को भानु सप्तमी और कालाष्टमी है।
-27 दिसंबर को मंडल पूजा है।
-30 दिसंबर को सफला एकादशी है।
-31 दिसंबर को प्रदोष व्रत है।
-1 जनवरी को नववर्ष है।
-1 जनवरी को ही मासिक शिवरात्रि है। ज्योतिषों की मानें तो अविवाहित लड़कियों और लड़कों को मासिक शिवरात्रि का व्रत जरूर करना चाहिए। इस व्रत के पुण्य प्रताप से व्रती की शीघ्र शादी हो जाती है। साथ ही विवाहित महिलाओं को सौभाग्य की प्राप्ति होती है।
-2 जनवरी को हनुमान जयंती है। तमिल समुदाय के लोग हनुमान जयंती मनाते हैं।
-2 जनवरी को दर्श अमावस्या है।
-4 जनवरी को चंद्र दर्शन पर्व है।
-6 जनवरी को विनायक चतुर्थी है।
-7 जनवरी को स्कंन्द षष्ठी है।
-9 जनवरी को शुक्ल पक्ष की भानु सप्तमी है।
-9 जनवरी को गुरु गोविंद सिंह जयंती है। महान संत गुरु गोबिंद सिंह जी का जन्म पौष माह की शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को साल 1666 में बिहार के पटना शहर में हुआ था। इनके पिता का नाम गुरु तेग बहादुर और माता का नाम गुजरी था।
10 जनवरी को शाकंभरी उत्स्व है।
-10 जनवरी को मासिक दुर्गाष्टमी है।
-12 जनवरी को मासिक कार्तिगाई है।
-12 जनवरी को स्वामी विवेकानंद जयंती है।
-13 जनवरी को वैकुंठ एकादशी या पौष पुत्रदा एकादशी है। इस दिन भगवान श्रीहरि विष्णु जी की पूजा उपासना की जाती है। ऐसी मान्यता है कि एकादशी के दिन भगवान श्रीहरि विष्णु जी की पूजा करने से समस्त पापों से मुक्ति मिलती है। एकादशी के दिन व्रत उपवास करने से अश्वमेघ यज्ञ के समतुल्य फलों की प्राप्ति होती है। धार्मिक पंडितों की मानें तो एकादशी की रात्रि जागरण करने से साधक पर भगवान की विशेष कृपा बरसती है। इस दिन चावल ग्रहण करना चाहिए। व्रती अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार, निर्जला या फलाहार व्रत कर सकते हैं।
-13 जनवरी को लोहड़ी है।
-14 जनवरी को मकर संक्रांति है।
-14 जनवरी को रोहिणी व्रत और कूर्म द्वादशी है।
-15 जनवरी को शनि त्रयोदशी, बिहू और प्रदोष व्रत है।
-17 जनवरी को पौष पूर्णिमा है।.'
Ritisha Jaiswal
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