धर्म-अध्यात्म

जानिए खरमास की पौराणिक कथा के बारे में

Ritisha Jaiswal
14 March 2021 9:59 AM GMT
जानिए खरमास की पौराणिक कथा के बारे में
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आज से खरमास शुरू हो रहा है। खरमास को मलमास भी कहा जाता है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | आज से खरमास शुरू हो रहा है। खरमास को मलमास भी कहा जाता है। इस दौरान कई मांगलिक कार्य वर्जित होते हैं। खरमास को लेकर एक पौराणिक कथा बताई गई है जिसकी जानकारी हम आपको यहां दे रहे हैं।

पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान सूर्यदेव ब्रह्मांड की परिक्रमा अपने 7 घोड़ों के रथ पर सवार होकर करते हैं। सूर्यदेव को कहीं भी रुकने की अनुमति नहीं है। अगर सूर्यदेव रुक जाते हैं तो माना जाता है कि जनजीवन भी रुक जाता है या ठहर जाता है। लेकिन उनके रथ के घोड़े लगातार चलते रहने से थक जाते हैं। वे भूख-प्यास से ग्रस्त और विश्राम न मिलने के चलते काफी थक जाते हैं। जब सूर्यदेव अपने घोड़ों की यह दयनीय स्थिति को देखते हैं तो उनका मन द्रवित हो उठता है।

तब सूर्यदेव उन्हें एक तालाब किनारे ले जाते हैं। जैसे ही वो किनारे पहुंचते हैं तो उन्हें यह आभास होता है कि अगर उनका रख रुका तो अनर्थ हो सकता है। लेकिन घोड़ों का सौभाग्य यह था कि तालाब के किनारे दो खर मौजूद थे।
तब सूर्यदेव घोड़ों को विश्राम करने के लिए वहीं छोड़ देते हैं और अपने साथ खर यानी गधों को रथ में जोड़कर परिक्रमा करने शुरू कर देते हैं। लेकिन गधे और घोड़े की गति में बहुत अंतर होता है। गधों को रथ के साथ बांधने के चलते रथ की गति धीमी हो जाती है। फिर भी जैसे-तैसे सूर्यदेव 1 मास का चक्र पूरा करते हैं। तब तक घोड़ों को भी विश्राम मिल चुका होता है। यह क्रम इसी तरह चलता है। हर सौरवर्ष में 11 सौरमास को खरमास कहा जाता है।


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