धर्म-अध्यात्म

जानिए महाभारत की वो प्रसंग के बारे में जो जुड़ा है भगवान श्रीकृष्ण और कर्ण से

Ritisha Jaiswal
21 Dec 2020 11:19 AM GMT
जानिए महाभारत की वो प्रसंग के बारे में जो जुड़ा है भगवान श्रीकृष्ण और कर्ण से
x
कई बार आप में से अधिकतर लोग ये सोचते हैं कि उनके साथ ही चुनौतियां या परेशानियां क्यों आती हैं। उनको ही किसी कार्य के​ लिए विशेष प्रत्यत्न क्यों करना होता है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क | कई बार हम अपने कर्मों में उचित और अनुचित का भेद नहीं कर पाते, उसका निर्धारण नहीं कर पाते। जागरण अध्यात्म में आज हम आपको महाभारत के एक प्रसंग के बारे में बताने जा रहे हैं, जो भगवान श्रीकृष्ण और कर्ण से जुड़ा हुआ है। आप भी पढ़ें और भगवान श्रीकृष्ण के दिए ज्ञान को आत्मसात करें।

एक बार महाभारत में कर्ण ने भगवान श्रीकृष्ण से पूछा, 'मेरे साथ ही ऐसा क्यों होता है? जन्म के बाद मेरी मां कुंती ने मुझे छोड़ दिया। गुरु द्रोणाचार्य ने शिक्षा देने से मना कर दिया। द्रौपदी के स्वयंवर में मुझे अपमानित किया गया
कर्ण की बातें सुनकर भगवान श्री कृष्ण पहले तो मंद-मंद मुस्कुराए और फिर कहा, इस संसार में कोई ऐसा नहीं है, जिसने दुख नहीं झेला है। उनका जन्म कारागार में हुआ। जन्म के तुरंत बाद उनको माता-पिता से अलग होना पड़ा। पैदा होने से पहले मृत्यु उनका इंतजार कर रही थी। जब वे घुटनों के बल भी चल नहीं पाते थे, तब उनके ऊपर प्राणघातक हमले हुए।
इतना ही नहीं, पिता समान मामा ने उनके जैसे निहत्थे बालक पर प्रहार कर मृत्यु के मुख में पहुंचाने का प्रयास किया। जरासंध के प्रकोप के कारण उनको अपने परिवार को समुद्र के किनारे द्वारका में बसाना पड़ा।भगवान श्रीकृष्ण ने कर्ण को समझाते हुए कहा कि किसी का भी जीवन चुनौतियों से रहित नहीं है। हर व्यक्ति के जीवन में कुछ चुनौती और परेशानी होती है। महत्व इस बात का है कि हम उन सबका सामना किस प्रकार ज्ञान के साथ करते हैं। उचित या अनुचित का निर्धारण हम अपनी आत्मा की आवाज से करते हैं।


Next Story