धर्म-अध्यात्म

जानिए झारखंड के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम के महत्व के बारे मे...

Tara Tandi
26 July 2022 5:10 AM GMT
जानिए झारखंड के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम के महत्व के बारे मे...
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सावन का महीना चल रहा है. सावन माह (Sawan Month) भगवान शिवजी की भक्ति-अराधना का माह होता है

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सावन का महीना चल रहा है. सावन माह (Sawan Month) भगवान शिवजी की भक्ति-अराधना का माह होता है. इस माह शिवजी की पूजा-अराधना और व्रत का विशेष महत्व होता है. मान्यता है कि इस माह किए गए पूजा-पाठ से भगवान शिव शीघ्र प्रसन्न होते हैं और भक्तों को आशीर्वाद देते हैं. सावन में शिवजी के प्रसिद्ध मंदिरों व ज्योतिर्लिंगों में शिवभक्तों की भारी भीड़ देखने को मिलती है. झारखंड का बैद्यनाथ धाम एक महत्वपूर्ण हिंदू तीर्थ स्थान है. यह भारत में स्थित 12 ज्योतिर्लिंगों में एक है. सावन माह में यहां दूर-दूर से श्रद्धालु पहुंचते हैं और भोलेबाबा का जलाभिषेक करते हैं. दिल्ली के आचार्य गुरमीत सिंह जी से जानते हैं झारखंड के देवघर स्थित बाबा बैद्यनाथ धाम के महत्व के बारे में.

भारत के 12 ज्योतिर्लिंगों में एक है देवघर का बैद्यनाथ धाम
झारखंड के देवघर स्थित तीर्थस्थल बाबा बैद्यनाथ धाम 12 ज्योतिर्लिंगों में नौंवा ज्योतिर्लिंग है. यह ऐसा ज्योतिर्लिंग है, जो शक्तिपीठ भी है. धार्मिक मान्यता के अनुसार, स्वयं भगवान विष्णु ने इसकी स्थापना की थी. वैसे तो पूरे साल यहां भक्त दर्शन और पूजा के लिए पहुंचते हैं, लेकिन सावन माह में यहां भक्तों की भीड़ बढ़ जाती है. मान्यता है कि मंदिर के दर्शन करने से भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती है. यही कारण है कि मंदिर में स्थापित शिवलिंग को कामना लिंग भी कहा जाता है.
देवघर में हर साल होती है श्रावणी मेला और कावंड़ यात्रा
भोलेबाबा की नगरी देवघर में हर साल सावन माह में श्रावणी मेला का आयोजन किया जाता है. कोरोना महामारी के कारण बीते दो साल से यहां श्रावणी मेला और कांवड़ यात्रा बंद थी, जोकि इस साल शुरू हुई है. इस साल 14 जुलाई से शुरू होकर देवघर में पूरे एक माह श्रावणी मेला होगा.


सावन माह में कावंड़ यात्रा बहुत प्रसिद्ध है और अलग-अलग राज्यों से यहां कावंड़ यात्री पहुंचते हैं. कांवड़िये बिहार के सुल्तानगंज से गंगाजल भरकर कंधे पर कांवड़ को रखकर लगभग 105 किलोमीटर की पैदल यात्रा कर के देवघर के बाबा बैद्यनाथ धाम पहुंचते हैं. फिर यह जल भगवान भोलेनाथ को चढ़ाते हैं. भक्तों की श्रद्धा और कठोर तप से भोलेबाबा प्रसन्न होते हैं और उनकी सभी मनोकामनाएं पूरी करते हैं.


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