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जानिए मां सरस्वती के पावन धाम के बारे जहां दर्शन मात्र से मिलता है बुद्धि और विद्या का आशीर्वाद
ज्ञान और वाणी देवी माता सरस्वती की कृपा के बगैर संसार की कल्पना करना भी असंभव है. माता सरस्वती की कृपा सिर्फ मनुष्य ही नहीं देवी-देवता और यहां तक कि दानव भी हमेशा पाना चाहते रहे हैं. माता सरस्वती को सभी प्रकार के ज्ञान, साहित्य, संगीत, कला आदि की देवी माना जाता है. देश में माता सरस्वती के कई ऐसे पावन धाम हैं जहां पर जाकर माता सरस्वती की साधना-आराधना करने पर बुद्धि और विद्या का आशीर्वाद मिलता है. आइए देवी भगवती सरस्वती के दिव्य स्थानों के बारे में विस्तार से जानते हैं.
मैहर का शारदा मंदिर
मध्यप्रदेश के सतना शहर में माता का यह दिव्य धाम लगभग 600 फुट की ऊंचाई वाली त्रिकुटा पहाड़ी पर स्थित है. मां सरस्वती यहां पर मां शारदा के रूप में विराजमान हैं, जिन्हें लोग मैहर देवी के नाम से जानते हैं. माता के मंदिर तक पहुंचने के लिए 1063 सीढ़ियों तय करनी पड़ती हैं, हालांकि अब रोपवे और मंदिर के करीब तक निजी वाहन भी जाते हैं
पुष्कर का सरस्वती मंदिर
राजस्थान के पुष्कर में ब्रह्मा जी के प्रसिद्ध मंदिर के साथ यहां पर विद्या की देवी सरस्वती का भी मंदिर है. जिनके दर्शन के बगैर यहां की तीर्थ यात्रा अधूरी मानी जाती है. मान्यता है कि वे यहां पर नदी के रूप में भी विराजमान हैं. यहां उन्हें उर्वरता व शुद्धता का प्रतीक माना जाता है.
श्रृंगेरी का शारदा मंदिर
माता सरस्वती के साधकों के लिए श्रृंगेरी का शारदा मंदिर भी पूजन की दृष्टि से बहुत मायने रखता है. इसे शरादाम्बा मंदिर के नाम से जाना जाता है. ज्ञान और कला की देवी को समर्पित, शरादाम्बा, दक्शनाम्नाया पीठ को आचार्य श्री शंकर भागावात्पदा द्वारा 7 वीं शताब्दी में बनाया गया था.
श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर
माता सरस्वती का यह पावन धाम देश के प्रमुख सरस्वती मंदिरों में से एक है. यह मंदिर आंध्र प्रदेश के आदिलाबाद जिले में स्थित है. पौराणिक कथाओं के अनुसार महाभारत युद्ध के बाद ऋषि व्यास शांति की खोज में निकले. वे गोदारी नदी के किनारे कुमारचला पहाड़ी पर पहुंचे और उन्होंने देवी की आराधना की. उनसे प्रसन्न होकर देवी ने उन्हें दर्शन दिए. देवी के आदेश पर उन्होंने प्रतिदिन तीन जगह तीन मुट्ठी रेत रखी. चमत्कार स्वरूप रेत के ये तीन ढेर तीन देवियों प्रतिमा में बदल गए जो सरस्वती, लक्ष्मी और काली कहलाईं.
(यहां दी गई जानकारियां धार्मिक आस्था और लोक मान्यताओं पर आधारित हैं, इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है. इसे सामान्य जनरुचि को ध्यान में रखकर यहां प्रस्तुत किया गया है.)