धर्म-अध्यात्म

भारत के इन मंदिरों के मिलने वाले दिव्य प्रसाद के बारे में जानिए

Admin4
1 Aug 2021 11:26 AM GMT
भारत के इन मंदिरों के मिलने वाले दिव्य प्रसाद के बारे में जानिए
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अधिकांश मंदिरों का अपना विशेष प्रसाद होता है. कई जगह भगवान और देवी-देवताओं को मान्यता के हिसाब से उनका पसंदीदा प्रसाद चढ़ाया जाता है. अलग-अलग मंदिरों में प्रसाद से जुड़ी अलग-अलग मान्यताएं हैं. कहीं इलायची दाना तो कहीं लड्डू प्रभु के हर धाम में भक्तों को अद्भुत अनूठा प्रसाद ही मिलता है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क :- सनातन धर्म की मान्यता पूरी दुनिया में मशहूर है. देश में अनगिनत छोटे-बड़े मंदिर हैं जहां पुजारी और भक्त अपने आराध्य के पूजन के दौरान उन्हें प्रसाद (Prasad) चढ़ाते हैं. प्रसाद, भगवान को भक्तों की तरफ से दी गई पवित्र भेंट होता है. चरणामृत हो या प्रसाद सभी उसे आस्था और विश्वास के साथ ग्रहण करते हैं. दक्षिण भारत में प्रसाद को प्रसादम (Prasadam) भी कहा जाता है. अधिकांश मंदिरों का अपना विशेष प्रसाद होता है. कई जगह भगवान और देवी-देवताओं को मान्यता के हिसाब से उनका पसंदीदा प्रसाद चढ़ाया जाता है. अलग-अलग मंदिरों में प्रसाद से जुड़ी अलग-अलग मान्यताएं हैं. कहीं इलायची दाना तो कहीं लड्डू प्रभु के हर धाम में भक्तों को अद्भुत अनूठा प्रसाद ही मिलता है. आइए जानते हैं भारत में कुछ मंदिरों और वहां मिलने वाले दिव्य प्रसाद के बारे में.


भगवान 'जगन्नाथ' का महाभोग

Bhagwan Jagannath Mahaprasad 56 Bhog
जगन्नाथ मंदिर यानी जगत के नाथ के इस धाम की रसोई आकर्षण का केंद्र है. मान्यता है कि यहां का प्रसाद माता लक्ष्मी की निगरानी में 500 रसोइये तैयार करते हैं. इसे महाप्रसाद (Jagannath Mandir Mahaprasad) भी कहते हैं. रसोई में 56 प्रकार के भोगों का निर्माण किया जाता है. भगवान जगन्नाथ के लिए तैयार किया गया भोग पूरी तरह शाकाहारी होता है. भोग बनाने के लिए मिट्टी के बर्तनों का उपयोग किया जाता है. इस प्रसाद में खिचड़ी, पूरी पीठ और आम के अलावा बहुत सी चीजें शामिल होती है.

कामाख्या देवी मंदिर का दिव्य प्रसाद
Kamakhya Devi Temple, Guwahati
गुवाहाटी स्थित कामाख्या देवी मंदिर में चढ़ाए जाने वाले प्रसाद के समान अद्वितीय कोई प्रसाद नहीं है. कामाख्या देवी मंदिर मां दुर्गा के 51 शक्तिपीठों में एक है. मंदिर को अपने काले जादू के अनुष्ठानों के लिए भी जाना जाता है. हर साल मानसून के दौरान मंदिर 3 दिन के लिए बंद कर दिया जाता है. माना जाता है कि गर्भग्रह से बहने वाला झरना उन दिनों में लाल हो जाता है. साथ ही भक्तों को प्रसाद के रूप में पत्थर की मूर्ती को ढकने वाला लाल कपड़ा काटकर दिया जाता है. वहीं अन्य दिनों में भक्त जो भी श्रद्धा से देवी मां को अर्पित करते हैं मां उसे स्वीकार करती हैं. मंदिर के पास मिलने वाली प्रसाद की थाली लेकर आप भी माता को अपनी भेंट चढ़ा सकते हैं.

भक्तों से पहले चूहों को प्रसाद
Karni Mata Mandir Prasad, Bikaner, Rajasthan
बीकानेर में करणी माता मंदिर अपने चूहों के लिए प्रसिद्ध है. मंदिर परिसर में अनगिनत चूहे स्वतंत्र रूप से घूमते हैं. यहां प्रसाद पहले इन्हें दिया जाता है उसके बाद भक्तों को दिया जाता है. चूहों का झूठा भोजन बेहद पवित्र माना जाता है. भोजन को वहां प्रसाद के रूप में भी बांटा जाता है.

माता वैष्णो देवी का निराला दरबार
Maa Vasihno Devi Mandir Jammu
मां वैष्णो देवी के अद्भुत दरबार में आने वाले भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं. कोरोना काल की वजह से आप यदि वहां न जा पा रहे हों तो आप अपने नाम से वहां ऑनलाइन पूजा बुक करा सकते हैं जिसका प्रसाद आपको कोरियर कर दिया जाएगा. यहां हर साल लाखों भक्त तीर्थ यात्रा के लिए आते हैं. प्रसाद में भक्तों को फूला हुआ चावल, चीनी के गोले, सेब के सूखे टुकड़े और नारियल भी प्रसाद के रूप में दिया जाता है. इस प्रसाद को पर्यावरण के अनुकूल जूट के बैग में रखा जाता है.

तिरुपति बाला जी का दिव्य प्रसाद
Shri Venkateshwara Temple, Tirupati Prasad
दक्षिण भारत की तिरुमाला पहाड़ियों पर भगवान विष्णु का ये मंदिर भक्तों की आस्था का केंद्र है. कहते हैं कि इस मंदिर में पूरे देश में सबसे ज्यादा चढ़ावा आता है. मंदिर अपने लड्डू के लिए भी प्रसिद्ध है जिसे यहां पर भगवान के प्रसाद के रूप में चढ़ाया जाता है. इसे तिपुताई लड्डू या श्री वारी लड्डू के नाम से जाना जाता है. ये लोकप्रिय प्रसाद मंदिर परिसर में श्रद्धा के साथ तैयार होता है.

स्वामी का पंचामृतम
Dhandayuthapani Swami Temple, Palani
तमिलनाडु की पलानी पहाड़ियों में स्थित यह भगवान मुरुगन का मंदिर अपने अनोखे प्रसाद के लिए बहुत प्रसिद्ध है. यहां भगवान को पांच फलों से बनी मिठाई, गुड़ या मिश्री का भोग लगाया जाता है. इसे पंचामृतम के नाम से भी जाना जाता है. इसकी लोकप्रियता इतनी है कि इसे पाने के लिए भक्त नंबर लगाकर इंतजार करते हैं.

केरल के कृष्ण मंदिर का अनूठा भोग
Sree Krishna Temple, Amablapuzha
केरल के तिरुवनंतपुरम के पास अमबलपुझा स्थित भगवान श्री कृष्ण के इस मंदिर का प्रसाद पाने के लिए श्रद्धालु हमेशा ही लालायित रहते हैं. भगवान को लगने वाला ये भोग दूध, चीनी और चावल से बनता है जिसे पायसम भी कहते हैं. मीठा प्रसाद अपने दिव्य स्वाद के कारण भी अद्वितीय है. पारंपरिक रसोइये ही इस प्रसाद को तैयार करते हैं. प्रसाद बनाने का ये सौभाग्य कुछ लोगों को पीढ़ी दर पीढ़ी मिल रहा है.




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