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धर्म-अध्यात्म
जानिए शुक्रवार के दिन संतोषी माता पूजा और व्रत विधि के बारे में....
Tara Tandi
10 Jun 2022 5:51 AM GMT
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हिंदू धर्म में सप्ताह का प्रत्येक दिन किसी न किसी देवी या देवता को समर्पित है। इसी तरह शुक्रवार का दिन संतोषी माता को समर्पित है।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में सप्ताह का प्रत्येक दिन किसी न किसी देवी या देवता को समर्पित है। इसी तरह शुक्रवार का दिन संतोषी माता को समर्पित है। इस दिन मां संतोषी के नाम से व्रत किया जाता है और विधि-विधान से पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता है कि इस दिन विधि-विधान से व्रत और पूजन करने से माता संतोषी प्रसन्न होकर अपने भक्तों पर कृपा बरसाती हैं। संतोषी माता को सुख, शांति और वैभव का प्रतीक माना जाता है। कहा जाता है कि माता संतोषी की पूजा करने से जीवन में संतोष का प्रवाह होता है। साथ ही प्रत्येक शुक्रवार को माता संतोषी की पूजा अर्चना करने से धन और विवाह संबंधी समस्याएं दूर होती हैं। ऐसे में चलिए जानते हैं शुक्रवार के दिन संतोषी माता पूजा और व्रत विधि के बारे में....
पूजा विधि
शुक्रवार के दिन प्रातः काल स्नानादि करके साफ वस्त्र धारण करें। घर में पूजा स्थल पर जाकर व्रत का संकल्प लें। इसके बाद मां संतोषी की प्रतिमा या चित्र स्थापित करें। फिर कलश की स्थापना करें।
इसके बाद विधि-विधान से माता संतोषी की पूजा करें। संतोषी माता के व्रत की कथा सुनें, आरती करें। इसके बाद चालीसा का पाठ करें। फिर जल से भरे पात्र के जल का पूरे घर में छिडकाव करें। पूजा के बाद गुड़ और चने का प्रसाद बांटें।
महत्व
जीवन में सुख, शांति और धन-वैभव के लिए लोग माता संतोषी का व्रत रखकर पूजा अर्चना करते हैं। इससे जातक के जीवन में सुखों का आगमन होता है। इससे घर की सभी परेशानियां समाप्त होती हैं और पुत्र रत्न की प्राप्ति होती है।
साथ ही कहा जाता है कि संतोषी माता का व्रत रखने से अविवाहित कन्याओं को मनचाहा वर मिलता है। इसके अलावा इस व्रत को करने से शिक्षा, कोर्ट कचहरी और व्यवसाय संबंधित समस्याओं से छुटकारा मिलता है।
संतोषी माता के व्रत में इन चीजों का रखें ध्यान
शुक्रवार को संतोषी मां के व्रत में खट्टी चीजों का सेवन वर्जित माना गया है। इसलिए भूलकर भी इस दिन कोई खट्टी चीज न खाएं और न ही उन्हें हाथ लगाएं। इस बात का भी ध्यान रखें कि परिवार में भी कोई खट्टी चीज न खाए।
व्रत का पारण करते समय स्वयं भी चने गुड़ का प्रसाद ग्रहण करना चाहिए। परिवार के अलावा जिन लोगों ने प्रसाद खाया हो उन्हें भी खट्टी चीजों का सेवन नहीं करना चाहिए।
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