धर्म-अध्यात्म

जानिए होली से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं के बारे में

Ritisha Jaiswal
15 March 2022 11:24 AM GMT
जानिए होली से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं के बारे में
x
होली के दिन आप निडरता व प्रेम के साथ किसी पर भी रंग डाल सकते हो। आप चाहे कोई भी हों, जैसी भी पद-प्रतिष्ठा हो, रंग डालने को सब उत्सव और मैत्री-भाव से स्वीकारते हैं।

होली के दिन आप निडरता व प्रेम के साथ किसी पर भी रंग डाल सकते हो। आप चाहे कोई भी हों, जैसी भी पद-प्रतिष्ठा हो, रंग डालने को सब उत्सव और मैत्री-भाव से स्वीकारते हैं। होली समानता, एकता, सहज प्रेम, सुख, करुणा, मैत्री और उत्साह का आवश्यक संदेश ले कर आती है।

होली मनाते हुए, हमें याद रखना चाहिए कि होली परमात्मा के अपार आनंद की अभिव्यक्ति है। सच तो यह है कि ऐसे उत्सव हमें आंतरिक आनंद और ऐक्य की याद दिलाने के लिए हैं, जो हमारा सत्स्वरूप और जीवन का सार हैं। जब सबके चेहरे रंगों से पुते होते हैं तो सब बाहरी भेद मिट जाते हैं; क्योंकि सब एक से दिखते हैं। सच्चा आनंद व प्रेम तभी जागते हैं, जब हम मन की खड़ी की हुई सब दीवारें गिरा देते हैं।होली से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं हैं, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध प्रह्लाद की कथा है। लोग होलिका-दहन द्वारा प्रह्लाद की विजय मनाते हैं।
हिरण्यकशिपु के अभ्युदय और पतन का गहरा अर्थ है: जब कोई राजा स्वार्थी, स्व-केंद्रित और अहंकार में चूर हो जाता है तो वह भूल जाता है कि वह भी एक ससीम (सीमाओं से युक्त) मनुष्य ही है। हमें कभी नहीं भूलना चाहिए कि इस विशाल विश्व के मनुष्य समेत सभी प्राणी बहुत तुच्छ हैं, छोटे-मोटे हैं। यह कथा हमें याद दिलाती है कि जब हम ईश्वर के सम्मुख विनयी नहीं रहते तो आखिर कर्म का सिद्धांत हमें सुधारेगा। और यह सिद्धांत सब पर समान रूप से लागू होता है। इसलिए सदा याद रहे कि हम सब परस्पर जुड़े हैं; हमारे अच्छे या बुरे, निस्वार्थ या स्वार्थपूर्ण- सब कर्मों की तरंगें हमारे परिवार, हमारे गांव, हमारे राज्य, हमारे देश और सारे विश्व को प्रभावित करेंगी। अंतत:, वे लौट कर हमारे पास आएंगी।
प्रह्लाद प्रतीक है अविचल विश्वास और निष्ठा की शक्ति का। छोटा-सा बच्चा था, फिर भी ईश्वर के दर्शन से पहले उसे कितनी कठिनाइयों से गुजरना पड़ा! इससे हमें पता चलता है कि न केवल आध्यात्मिकता में, बल्कि जीवन के हर क्षेत्र में, यदि हम शिखर पर पहुंचना चाहते हैं, तो हमें अतिशय प्रेम, विश्वास, अर्पण-समर्पण की आवश्यकता होगी। इन सबसे बढ़ कर हमें ईश्वर-कृपा का आह्वान करना होगा।दृढ़ भक्ति और विश्वास के चलते, प्रह्लाद आज भी सम्पूर्ण विश्व में लाखों लोगों के लिए प्रेरणा-स्रोत बना हुआ है। हमें प्रेरणा व मार्गदर्शन के लिए ऐसे और लोगों की आवश्यकता है- जिनके शुद्ध प्रेम सहित निडर धार्मिक कृत्य, हमारे इस विश्व को वर्तमान अंधकार और दुख के चंगुल से छुड़ा सकें।
पावन उत्सवों में भाग लेने से मिलने वाली प्रसन्नता हमें मन से परे ले जाती है। इसमें गहन प्रेम की अभिव्यक्ति होती है। हमें प्रत्येक कर्म में, आजीवन, इस मनोभाव को बनाए रखने का प्रयत्न करना चाहिए।


Ritisha Jaiswal

Ritisha Jaiswal

    Next Story