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धर्म-अध्यात्म
जानिए भगवान राम के बहन बारे में… कुल्लू में बना है विशाल मंदिर
Tara Tandi
22 March 2021 7:14 AM GMT
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हम सभी ने अब तक यही पढ़ा है और सुना है कि राजा दशरथ के चार पुत्र थे. प्रभु श्रीराम उन चारों में सबसे बड़े थे.
जनता से रिश्ता वेबडेसक | हम सभी ने अब तक यही पढ़ा है और सुना है कि राजा दशरथ के चार पुत्र थे. प्रभु श्रीराम उन चारों में सबसे बड़े थे. लेकिन क्या आपने कभी श्रीराम की बहन के बारे में सुना है ? दक्षिण भारत में प्रचलित रामायण कथा में प्रभु श्रीराम की बड़ी बहन का भी जिक्र है, जिनका नाम शांता था.
शांता भी राजा दशरथ और कौशल्या की पुत्री थीं. हिमाचल प्रदेश के कुल्लू से करीब 50 किलोमीटर दूर में शांता देवी का बड़ा मंदिर भी बना है. जहां उनकी पूजा श्रृंगी ऋषि के साथ की जाती है. श्रृंगी ऋषि उनके पति थे. दक्षिण भारत में श्रीराम की बड़ी बहन शांता को लेकर कई तरह की कथाएं प्रचलित हैं आइए जानते हैं इन मान्यताओं के बारे में
पहली कथ
रावण बहुत ज्ञानी था और उसे राजा दशरथ के विवाह से पहले ही पता चल गया था कि राजा दशरथ और कौशल्या के पुत्र के हाथों उसकी मृत्यु होगी. इसलिए उसने विवाह से पूर्व ही कौशल्या को मारने की योजना बनाई. उसने कौशल्या को अगवा कर एक संदूक में बंद करके सरयू नदी में फेंक दिया. उस समय राजा दशरथ शिकार करके लौट रहे थे. उन्होंने जब ये देखा तो नदी में छलांग लगा दी.
दशरथ ये नहीं जानते थे कि संदूक में कौशल नरेश की पुत्री कौशल्या हैं. काफी दूर तक वे तैरते रहे, लेकिन उन्हें संदूक नहीं मिला तो वे थक गए और उनके प्राणों पर भी संकट आ गया. तबजटायु ने उन्हें बचाया और संदूक को ढूंढने में मदद की. संदूक में कौशल्या मूर्छित अवस्था में मिलीं. उन्हें देखकर दशरथ अति प्रसन्न हुए.
इसके बाद देवर्षि नारद ने कौशल्या और दशरथ का गंधर्व विवाह संपन्न करवाया. विवाह के कुछ समय बाद उनके यहां एक कन्या ने जन्म लिया, लेकिन ये कन्या दिव्यांग थी. उपचार से कोई लाभ नहीं हुआ तो ज्योतिषियों ने बताया कि राजा दशरथ और कौशल्या का गोत्र एक होने की वजह से ऐसा हुआ है.
इसके बाद समाधान निकाला गया कि कन्या के माता-पिता बदल दिए जाएं. यानी कोई इस कन्या को गोद ले ले. ऐसे में अंगदेश के राजा रोमपाद और वर्षिणी ने शांता को अपनी पुत्री स्वीकार कर लिया और वे स्वस्थ हो गईं. वर्षिणी कौशल्या की बहन थीं. युवा होने के बाद श्रृंगी ऋषि के साथ शांता का विवाह करवाया गया
दूसरी कथा
एक अन्य लोककथा के अनुसार राजा कौशल्या की बहन थी वर्षिणी राजा रोमपाद की पत्नी थीं. उनकी कोई संतान नहीं थी. वहीं राजा दशरथ और कौशल्या की पुत्री शांता बहुत समझदार और गुणवान थी. एक बार रोमपाद और वर्षिणी राजा दशरथ के यहां आए. वे शांता के गुणों से बहुत प्रभावित हुए और बोले कि काश ऐसी गुणवान कन्या हमारी भी होती. उनके ये बोल सुनकर राजा दशरथ ने उन्हें बेटी गोद देने का वचन दे दिया. रघुकुल रीति के हिसाब से वे अपने वचन से पीछे नहीं हट सकते थे, इसलिए उन्हें अपनी पुत्री को देना पड़ा. इसके बाद शांता का पालन वर्षिणी और रोमपाद ने किया और शांता अंगदेश की राजकुमारी बन गईं. रोमपाद और वर्षिणी ने ही अपनी पुत्री का विवाह श्रृंगी ऋषि के साथ कराया.
तीसरी कथा
तीसरी कथा के अनुसार जब शांता ने जन्म लिया तब अयोध्या में अकाल पड़ गया और 12 वर्षों तक अकाल की स्थिति बनी रही. इसकी वजह से प्रजा को भी काफी कष्ट सहने पड़े. तब चिंतित राजा दशरथ को सलाह दी गई कि यदि वे शांता को दान कर दें तो अकाल की स्थिति टल सकती है. प्रजा की परेशानी को देखकर राजा ने पुत्री को अंगदेश के राजा रोमपाद और वर्षिणी को दान कर दिया क्योंकि उनकी कोई संतान नहीं थी. इसके बाद शांता कभी अयोध्या नहीं लौटीं. कुछ समय बाद उनका विवाह श्रृंगी ऋषि से करवा दिया गया.
Tara Tandi
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