धर्म-अध्यात्म

जानिए गुरुवार व्रत करने और उसके उद्यापन विधि के बारे में

Tara Tandi
7 July 2022 5:22 AM GMT
जानिए गुरुवार व्रत करने और उसके उद्यापन विधि के बारे में
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सनातन धर्म में हर देवी-देवता को सप्ताह के सातों दिन के अनुसार पूजा जाता है. भगवान विष्णु की पूजा आराधना के लिए गुरुवार का दिन समर्पित किया गया है.

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। सनातन धर्म में हर देवी-देवता को सप्ताह के सातों दिन के अनुसार पूजा जाता है. भगवान विष्णु की पूजा आराधना के लिए गुरुवार का दिन समर्पित किया गया है. भगवान विष्णु को प्रसन्न करने के लिए भक्त गुरुवार का व्रत करते हैं. व्रत करने के पहले व्यक्ति कोई न कोई मनोकामना करता है, जो पूरी हो जाने के बाद भगवान को धन्यवाद देते हुए उसका उद्यापन करता है. भोपाल निवासी ज्योतिषी एवं पंडित हितेंद्र कुमार शर्मा बताते हैं कि गुरुवार का व्रत पौष माह छोड़कर किसी भी महीने के शुक्ल पक्ष के पहले गुरुवार से प्रारंभ कर सकते हैं. आइए जानते हैं व्रत और उद्यापन विधि.

गुरुवार व्रत करने की विधि
1 सबसे पहले पूजा में इस्तेमाल की जाने वाली सामग्री को एकत्र करें. जैसे चने की दाल, गुड़, हल्दी, केले, उपले और भगवान विष्णु की फोटो.
2. सुबह जल्दी उठकर स्नानादि से निवृत्त हो जाएं. स्वच्छ वस्त्र धारण करने के बाद भगवान विष्णु के समक्ष बैठ जाएं. अब अपने हाथ में थोड़े से चावल और एक पीला पुष्प लेकर 16 गुरुवार का व्रत करने का संकल्प लें.
3. अब उपले पर हवन करें और हवन में 5, 7 या फिर 11 बार ॐ गुं गुरुवे नमः मन्त्र के साथ आहुति दें. अंत में आरती कर लें और भगवान विष्णु को भोग लगा दें.
4. जिस कलश में जल था, उसे घर के आस-पास किसी केले के पेड़ में चढ़ा दें.
5. गुरुवार के दिन यदि आप केले के पेड़ की पूजा कर रहे हैं, तो उस दिन भूलकर भी केले का सेवन ना करें.
गुरुवार व्रत की उद्यापन विधि
1 जिस दिन आपको गुरुवार व्रत का उद्यापन करना है, उसके 1 दिन पहले ये सामग्री लाकर रख लें. जैसे चने की दाल, गुड़, हल्दी, केले, पपीता और पीला वस्त्र.
2. सुबह जल्दी उठकर सारे कामों से निवृत होने के बाद भगवान विष्णु के समक्ष बैठ जाएं.
3. अब गुरुवार व्रत पूजा जैसे ही भगवान विष्णु की पूजा विधि विधान से करें और हाथ जोड़कर प्रार्थना करें कि आपने जो व्रत करने का संकल्प लिया था, वह पूरा हुआ और आज आप उसका उद्यापन करने जा रहे हैं. आप कृपा हमेशा बनाए रखिएगा.
4. अब पूजा सामग्री भगवान विष्णु को अर्पित करें. सामर्थ्य अनुसार दक्षिणा रखें और यह पूरी सामग्री किसी ब्राह्मण को भेंट कर दें.
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