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धर्म-अध्यात्म
Kharmas 2021: खरमास के पहले रविवार को दें सूर्य को ऐसे अर्ध्य, जानें पूजा विधि
Tulsi Rao
19 Dec 2021 2:07 AM GMT
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हिंदी पंचांग के अनुसार, 14 दिसंबर, 2021 से 14 जनवरी, 2022 तक खरमास है। इन दिनों में कोई मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। शास्त्रों में निहित है कि खरमास में सूर्यदेव धनु राशि में प्रवेश करते हैं।
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Kharmas 2021: हिंदी पंचांग के अनुसार, 14 दिसंबर, 2021 से 14 जनवरी, 2022 तक खरमास है। इन दिनों में कोई मांगलिक कार्य नहीं किए जाते हैं। शास्त्रों में निहित है कि खरमास में सूर्यदेव धनु राशि में प्रवेश करते हैं। इससे गुरु का प्रभाव क्षीण हो जाता है। इसके लिए खरमास के दिनों में शुभ कार्य करने की मनाही है। ऐसी मान्यता है कि खरमास में सूर्यदेव की पूजा उपासना करने से जातक की कुंडली में सूर्य मजबूत होता है। इससे जातक के जीवन में सुख और समृद्धि का आगमन होता है। रविवार का दिन सूर्यदेव को समर्पित होता है। इस दिन सूर्यदेव की पूजा उपासना करने से जातक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण करते हैं। आइए जानते हैं कि खरमास के पहले रविवार को सूर्यदेव को कैसे अर्ध्य देकर पूजा करें-
पूजा विधि
पुराणों में रविवार के दिन रवि व्रत करने का उल्लेख है। इस व्रत को करने से न केवल सुख, शांति और समृद्धि आती है बल्कि वंश में भी वृद्धि होती है। खासकर, महिलाएं इस व्रत को अपने सौभाग्य के लिए करती है। इसके अतिरिक्त इस दिन नियमित तौर पर भी पूजा कर भगवान को प्रसन्न कर सकते हैं।
ब्रह्म मुहूर्त में उठें
इसके लिए ब्रह्म मुहूर्त में उठें और स्नान ध्यान से निवृत होकर सर्वप्रथम पूजा संकल्प लें। इसके बाद आमचन कर अपने को शुद्ध कर भगवान भास्कर को जल अर्पित करें। इस समय निम्न मंत्र का उच्चारण जरूर करें।
एहि सूर्य सहस्त्रांशो तेजोराशे जगत्पते।
अनुकम्पय मां देवी गृहाणार्घ्यं दिवाकर।।
इसके बाद गायत्री मंत्र का जाप करें।
ॐ ॐ ॐ ॐ भूर् भुवः स्वः तत् सवितुर्वरेण्यं।
भर्गो देवस्य धीमहि धियो यो नः प्रचोदयात् ।।
इसके बाद भगवान विष्णु का स्मरण कर निम्न मंत्र का उच्चारण करें।
शांता कारम भुजङ्ग शयनम पद्म नाभं सुरेशम।
विश्वाधारं गगनसद्र्श्यं मेघवर्णम शुभांगम।
लक्ष्मी कान्तं कमल नयनम योगिभिर्ध्यान नग्म्य्म।"
जथा शक्ति तथा भक्ति
इसके पश्चात पीला वस्त्र धारण कर भगवान भगवान भास्कर की फल, धुप-दीप, दूर्वा आदि से करें।फिर आरती अर्चना कर भगवान से सुख, शांति और समृद्धि की कामना करें। आप चाहें तो जथा शक्ति तथा भक्ति अनुसार ब्राह्मणों को भोजन कराएं एवं दान दें।
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