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रत्न शास्त्र में कुंडली के हर ग्रह को मजबूत करने के उपाय के रूप में रत्न और उप-रत्न सुझाए गए हैं
जनता से रिश्ता वेबडेस्क | रत्न शास्त्र में कुंडली के हर ग्रह को मजबूत करने के उपाय के रूप में रत्न और उप-रत्न सुझाए गए हैं. ये रत्न धारण करने से लोगों की जिंदगी में बड़े परिवर्तन आते हैं. उनकी जिंदगी में सुख-समृद्धि, सौभाग्य के रास्ते में आने वाली रुकावटें दूर हो जाती हैं, लेकिन कई बार कुंडली के मुताबिक सही रत्न पहनने के बाद भी उचित फल नहीं मिलता है. इसके पीछे कुछ कारण जिम्मेदार होते हैं. जैसे सही तरीके से रत्न को न पहनना, रत्न पहनने का समय सही न होना आदि
रत्न पहनते समय इन बातों का रखें ध्यान
- रत्न से बनी अंगूठी या जिस भी आभूषण के जरिए रत्न धारण कर रहे हैं, उसे दूध में डालें. इसके बाद उसे शुद्ध जल से धोकर धारण करें. कभी भी रत्न को रात भर के लिए दूध में न डालें क्योंकि कुछ रत्न दूध सोख लेते हैं, इससे रत्न में अशुद्धि आ जाती है.
- हो सके तो रत्न को धारण करने से पहले अपने ईष्ट देवी-देवता की मूर्ति से स्पर्श कराएं.
कभी भी चतुर्थी, नवमीं या चतुर्दशी के दिन रत्न न पहनें. साथ ही देखें रत्न पहनने के दिन गोचर का चंद्रमा आपकी राशि से 4,8,12 वें भाव में ना हो. अमावस्या, ग्रहण और संक्रान्ति के दिन भी रत्न नहीं पहनना चाहिए.
- हर रत्न धारण करने का सही समय होता है, इसके लिए विशेषज्ञ से समय भी पूछ लें.
- समुद्र से मिलने वाले रत्न जैसे मोती, मूंगा को रेवती, अश्विनी, रोहिणी, चित्रा, स्वाति और विशाखा नक्षत्र में धारण करने से विशेष लाभ मिलता है. वहीं सुहागिन महिलाओं को पुनर्वसु, पुष्य नक्षत्र में रत्न नहीं पहनना चाहिए. उनके लिए रेवती, अश्विनी, हस्त, चित्रा, अनुराधा नक्षत्र में रत्न धारण करना शुभ होता है.
- मूंगा और मोती को छोड़कर बाकी बहुमूल्य रत्न जैसे माणिक्य, पन्ना, पुखराज, हीरा, नीलम कभी बूढ़े नहीं होते हैं. ये हमेशा के लिए होते हैं और इन्हें बदलने की जरूरत नहीं पड़ती है. वहीं मोती की चमक कम होने पर और मूंगा में खरोंच पड़ने पर उन्हें बदल लेना चाहिए.
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