धर्म-अध्यात्म

मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाते वक्त इन बातों का रखें ध्यान

Tara Tandi
14 Jun 2022 1:43 PM GMT
मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाते वक्त इन बातों का रखें ध्यान
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हिंदू धर्म में वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) का खास महत्व है। मान्यता के मुताबिक हमारे आस-पास की चीजें हमारे जीवन को सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से प्रभावित करती हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिंदू धर्म में वास्तु शास्त्र (Vastu Shastra) का खास महत्व है। मान्यता के मुताबिक हमारे आस-पास की चीजें हमारे जीवन को सकारात्मक और नकारात्मक दोनों तरह से प्रभावित करती हैं। वास्तु शास्त्र के मुताबिक जिन घरों में वास्तु से संबंधित किसी भी प्रकार का दोष होता है वहां पर बीमारियां, परेशानियां, धनहानि, मनमुटाव और विवाद अक्सर पीछा करते हैं। इसके अलावा ये भी देखा जाता है कि कई बार दिन-रात व्यक्ति मेहनत करता है लेकिन वह वैसी सफलता नहीं प्राप्त करता जैसी उसको अपेक्षा रहती है।

वास्तु शास्त्र के कुछ आसान उपाय से आप अपनी जिंदगी को संवार सकते हैं। वास्तु के उपाय घर, ऑफिस या फिर व्यापारिक अनुष्ठान आदि में वास्तु दोष को दूर करने में कारगर होते हैं। आज हम आपको एक ऐसे चीज के बारे में बताने जा रहे हैं जो आपकी जिंदगी में खुशियों के रंग घोल सकते हैं।
भारतीय धर्म शास्त्र में स्वस्तिक (Swastik) का खास महत्व प्राप्त है। इसे बेहद ही शुभ और पवित्र माना गया है। स्वास्तिक का प्रयोग हर मंगल कार्य में जरूर होता है। इसे श्री गणेश का भी प्रतीक माना गया है। लोग अपने घर के मुख्य द्वार पर पूरी आस्था और श्रद्धा के साथ स्वास्तिक बनाते हैं।
कहते है सुख, समृद्धि, शांति, धन, विद्या सबकुछ पाने में स्वस्तिक विशेष भूमिका रखता है। इसी लिए इसे ज्यादातर प्रवेश द्वार पर बनाया जाता है। तिजोरी और पैसे रखने की जगह पर भी इसे बनाया जाता है। स्वास्तिक को सतिया के नाम से भी जाना जाता है। वास्तु शास्त्र में भी घर के मुख्य द्वार पर स्वस्तिक बनाने को मंगलकारी बताया जाता है।
मान्यता के मुताबिक स्वस्तिक कोई आकृति नहीं बल्कि एक तंत्र है। जिस प्रकार ओम को सर्वश्रेष्ठ मंत्र के रूप में जाना जाता है। वैसे की स्वस्तिक को भी सभी कामनाओं को पूर्ण करने वाला सबसे शक्तिशाली तंत्र माना गया है। स्वास्तिक दो शब्दों से मिलकर बना है जिसमें 'सु' का अर्थ है शुभ और 'अस्ति' का अर्थ 'होना' होता है। अर्थात् स्वास्तिक का शाब्दिक अर्थ 'शुभ होना', 'कल्याण हो' आदि है।
मान्यता के मुताबिक सही समय और सही जगह पर बनाया गया स्वास्तिक बेहद ही शुभ होता है। वास्तु शास्त्र के मुताबिक मेन गेट के ऊपर सिंदूर से स्वास्तिक चिन्ह बनाना चाहिए। यह चिन्ह नौ अंगुल लंबा और नौ अंगुल चौड़ा होना चाहिए। ऐसा करने से सौभाग्य और समृद्धि में वृद्धि होती है, साथ ही रोग, शोक में कमी आती है।
मुख्य द्वार पर स्वस्तिक बनाते वक्त इन बातों को रखें ध्यान
- मेन गेट पर स्वास्तिक हमेशा सिंदूर से ही बनाए। सिंदूर से बना स्वास्तिक घर में सुख और समृद्धि का रास्ता खोलता है। जब भी मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाएं तो इस बात का ध्यान रखें कि दरवाजा धूल मिट्टी से गंदा ना हो।
- मुख्य द्वार पर स्वास्तिक बनाने के बाद इस बात का ध्यान रखें कि वहां आसपास जूते चप्पलों का ढेर भी ना लगने दें।
- वास्तु दोषों को कम करने या मिटाने के लिए नौ उंगली लंबा और चौड़ा स्वास्तिक बनाना अच्छा माना जाता है।
- मुख्य द्वार के अलावा घर के आंगन के बीचोंबीच भी स्वास्तिक बनाया जा सकता है। मान्यता के मुताबिक इससे आंगन में पितृ निवास करते हैं और आशीष बनाकर रखते हैं।
- अगर आप स्वस्तिक बनाकर ऐसे ही गंदा होने के लिए छोड़ देंगे या फिर आप गलती से स्वस्तिक को उल्टा बना देते हैं तो यह नकारात्मक ऊर्जा को आपके घर की ओर आकर्षित करेगा जो आपकी जान भी ले सकती है।
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