धर्म-अध्यात्म

पितृ पक्ष में इन बातों का रखें ध्यान, फिर जरूर मिलेगा पितरों का आशीर्वाद

Shiddhant Shriwas
15 Sep 2021 4:46 AM GMT
पितृ पक्ष में इन बातों का रखें ध्यान, फिर जरूर मिलेगा पितरों का आशीर्वाद
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पितृपक्ष 20 सितंबर से प्रारंभ हो रहे हैं, एक पक्ष तक चलने वाले श्राद्ध पक्ष में पितरों का तर्पण विधि-विधान से किया जाता है।

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। पितृपक्ष 20 सितंबर से प्रारंभ हो रहे हैं, एक पक्ष तक चलने वाले श्राद्ध पक्ष में पितरों का तर्पण विधि-विधान से किया जाता है। श्राद्ध पक्ष का समापन सर्व पितृ अमावस्या के दिन यानि 06 अक्तूबर 2021 को होगा। श्राद्ध का अर्थ श्रद्धा पूर्वक अपने पितरों को प्रसन्न करने से है। सनातन मान्यता के अनुसार जो परिजन अपना देह त्यागकर परलोक चले गए हैं, उनकी आत्मा की तृप्ति के लिए सच्ची श्रद्धा के साथ जो तर्पण किया जाता है, उसे श्राद्ध कहा जाता है। ऐसी मान्यता है कि मृत्यु के देवता यमराज श्राद्ध पक्ष में जीव को मुक्त कर देते हैं, ताकि वे स्वजनों के यहां जाकर तर्पण ग्रहण कर सकें। मृत परिजनों को पितर कहा जाता है। पितृ पक्ष में मृत्युलोक से पितर पृथ्वी पर आते है और अपने परिवार के लोगों को आशीर्वाद देते हैं। पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनको तर्पण किया जाता है। पितरों के प्रसन्न होने पर घर पर सुख शान्ति आती है। परंतु श्राद्ध करते समय कुछ विशेष बातों को ध्यान में रखना आवश्यक होता है।

पितरों के लिए क्या करें

सर्वप्रथम अपने पूर्वजों की इच्छा अनुसार दान-पुण्य का कार्य करना चाहिए। दान में सर्वप्रथम गौदान करना चाहिए। फिर तिल, स्वर्ण, घी, वस्त्र, गुड़, चांदी, पैसा, नमक और फल का दान करना चाहिए। यह दान संकल्प करवा कर ही देना चाहिए और अपने पुरोहित या ब्राह्मण को देना चाहिए। श्राद्ध पक्ष में यह दान तिथि अनुसार ही करें। ऐसा करने से पूर्वजों का आशीर्वाद प्राप्त होगा।

पितरों से मांगें क्षमा-याचना

जाने अनजाने में आप कोई गलती या अपराध कर बैठे हैं और आप अपराध बोध से ग्रसित हैं तो ऐसी स्थिति में आप अपने गुरु से अपनी बात कहकर अपने पितरों से क्षमा मांगें और उनकी तस्वीर पर तिलक करें। उनके निमित संध्या समय में तिल के तेल का दीपक जरूर प्रज्वलित करें और अपने परिवार सहित उनकी तिथि पर लोगों में भोजन बांटें और अपनी गलती को स्वीकार कर क्षमा याचना मांगें। ऐसा करने से आपके पितृ प्रसन्न होंगे और इससे आपका कल्याण भी होगा।

इस विधि से पाएं आशीर्वाद

जो हमारे पूर्वज पूर्णिमा के दिन चले गए हैं उनके पूर्णिमा श्राद्ध ऋषियों को समर्पित होता है। हमारे पूर्वज जिनकी वजह से हमारा गोत्र है। उनके निमित तर्पण करवाएं। अपने दिवंगत की तस्वीर को सामने रखें। उन्हें चन्दन की माला अर्पित करें और सफेद चन्दन का तिलक करें। इस दिन पितरों को खीर अर्पित करें। खीर में इलायची, केसर, शक्कर, शहद मिलाकर बनाएं और गाय के गोबर के उपले में अग्नि प्रज्वलित कर अपने पितरों के निमित तीन पिंड बना कर आहुति दें। इसके पश्चात, कौआ, गाय और कुत्तों के लिए प्रसाद खिलाएं। इसके पश्चात ब्राह्मणों को भोजन करवाएं और स्वयं भी भोजन करें।

सर्व पितृ श्राद्ध

अमावस्या के दिन सर्वपित्र श्राद्ध, पिंड दान या तर्पण का बहुत ही महत्व है। इस दिन उन पितरों का तर्पण किया जाता है जिनकी तिथि ज्ञात न हो, जो अकाल मृत्यु को प्राप्त हुए हैं। इस दिन उनके निमित दान तर्पण का अत्यंत महत्व होता है।

श्राद्ध करते समय बरतें सावधानियां

श्राद्ध के समय कोई उत्साह वर्धक कार्य नहीं करना चाहिए। श्राद्ध पितरों के निमित्त भावभीनी श्रंद्धाजलि का समय होता है। इसलिए इस दिन तामसिक भोजन न करें। घर के प्रत्येक सदस्यों के द्वारा दिवंगत आत्मा हेतु दान जरूर करवाएं और उन्हें पुष्पांजलि दें। किसी गरीब असहाए व्यक्ति को भोजन करवाएं और उसे वस्त्र दें।

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