धर्म-अध्यात्म

पूजा के दौरान इन बातों का रखें ध्यान, पूजा के बाद पूजा सामग्री का क्या करें?जानें

Tulsi Rao
13 May 2022 11:43 AM GMT
पूजा के दौरान इन बातों का रखें ध्यान, पूजा के बाद पूजा सामग्री का क्या करें?जानें
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जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Pujan Samagri: हिंदू धर्म (Hindu religion) में पूजा के नियमों के बारे में विस्तार से वर्णन मिलता है. पूजा विधि और मुहूर्त को लेकर प्राचीन वेदों में भी बताया गया है. पूजा के बाद पूजा सामग्री का क्या करना चाहिए ये सवाल हर किसी के मन में आता है, लेकिन जानकारी अभाव होने के कारण वे इसका उत्तर नहीं जान पाते हैं. आज यहां बताने जा रहें है कि पूजा के बाद पूजा सामग्री और मुरझाए फूलों का क्या करना चाहिए.

पूजा के दौरान इन बातों का रखें ध्यान
पूजा के दौरान नियम की अनदेखी कतई नहीं करनी चाहिए. पूजा के दौरान की जाने वाली गलतियों के कारण पूजा का लाभ नहीं मिलता है. इतना ही नहीं कई बार ये गलतियां इतनी भारी पड़ जाती है कि इन लाभ मिलने की बजाए हानि भी उठानी पड़ती है. इसलिए जिस देवी-देवता या ग्रह की शांति की पूजा करें उसके नियमों का पालन पूरी विधि विधान और श्रद्धभाव से करना चाहिए.
पूजा के बाद पूजा सामग्री का क्या करें?
पूजा के बाद पूजा सामग्री का विशेष ध्यान रखना चाहिए. सबसे पहले पूजा में प्रयोग की गई सामग्री को एकत्र कर लेना चाहिए. पूजा में प्रयोग की जाने वाली सुपारी, चावल, गेंहू आदि को घर में अधिक दिनों तक रखना शुभ नहीं माना गया है. इन चीजों का जितनी जल्दी हो सके नदी में विसर्जन कर देना चाहिए या फिर किसी को दान कर देना चाहिए.
राख या भस्म का क्या करें?
इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए कि पितृ पक्ष में पितरों को प्रसन्न करने के लिए किये जाने वाले हवन के दौरान जो उपले आप जलाते हैं उसकी राख को घर में नहीं रखना चाहिए. यदि भगवान की पूजा के लिए भी आप ऐसा करते हैं तो भी घर में अधिक दिनों तक उपलों की राख को नहीं रखना चाहिए. माना जाता है कि अधिक दिनों तक यदि ये राख घर में रहे तो वास्तु दोष पैदा होता है. घर की सकारात्मक ऊर्जा प्रभावित होने लगती है. इस राख को कच्ची मिट्टी के नीचे गड्डा खोदकर दबा देना चाहिए.
पूजन साग्रगी को कूड़ेदान में भूलकर भी न डालें
पूजा सामग्री को भूलकर भी कूड़ेदान में नहीं डालना चाहिए. ऐसा करने से अशुभ फल प्राप्त होता है. मुरझाए फूलों को नदी में विसर्जन करना चाहिए. जल को दूषित करने वाली सामग्री को नदी में प्रभावित नहीं करना चाहिए. उन वस्तुओं को गड्ढा खोदकर दबा देना चाहिए.


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