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सनातन धर्म में वैसे तो हर दिन का महत्व होता हैं लेकिन भोलेबाबा की पूजा अर्चना को समर्पित श्रावण मास बेहद ही खास माना जाता हैं जो कि शिव साधना के लिए सर्वोत्तम हैं इस दौरान भक्त शिव की आराधना में लीन रहते हैं। इस बार सावन की शुरुआत 4 जुलाई दिन मंगलवार से हो चुकी हैं और इसका समापन 31 अगस्त को हो जाएगा। सावन के शुरु होते ही कांवड़ यात्रा का भी आरंभ हो जाता हैं।
सावन का पहला जल 15 जुलाई दिन शनिवार को शिव को अर्पित किया जाएगा। इस दिन मासिक शिवरात्रि भी पड़ रही हैं। शास्त्रों में कांवड़ यात्रा को लेकर कई नियम बताए गए हैं जिनका पालन करने से ही लाभ मिलता हैं अगर कोई इन नियमों की अनदेखी करता हैं तो वह शिव के आशीर्वाद से वंछित रह जाता हैं तो आज हम आपको अपने इस लेख द्वारा कांवड़ यात्रा से जुड़े नियम बता रहे हैं।
कांवड़ यात्रा से जुड़े नियम—
धार्मिक मान्यताओं और नियमों के अनुसार जो लोग कांवड़ भरने जा रहे हो उनका क्रोध नहीं करना चाहिए। क्योंकि कांवड़ यात्रा एक तीर्थ के समान माना जाता हैं ऐसे में इस दौरान क्रोध करने से शिव का आशीर्वाद प्राप्त नहीं होता हैं और साधक भोलेनाथ की कृपा से वंछित रह जाता हैं इसके अलावा कांवड़ यात्रा के दौरान विवाद आदि से दूर रहना चाहिए। वरना मन की शांति भंग हो जाती हैं। साथ ही साथ किसी भी तरह का कटु शब्द नहीं बोलना चाहिए। ना तो मन में द्वेश की भावना रखनी चाहिए।
वही जो लोग कांवड़ यात्रा में शामिल हैं उन्हें भूलकर भी नशा आदि नहीं करना चाहिए। इस दौरान मांस, मदिरा का पान करने से भगवान शिव क्रोधित हो जाते हैं। यात्रा के समय केवल स्वच्छ भोजन का ही सेवन करना चाहिए इस दौरान दूषित भोजन से दूरी बनाकर ही रखनी चाहिए। इसके अलावा जो लोग शिव को प्रसन्न करने के लिए कांवड़ यात्रा कर रहे हैं उन्हें अपनी वाणी पर संयम रखना चाहिए। झूठ नहीं बोलना चाहिए और ना ही किसी की निंदा करनी चाहिए। ऐसा करने से यात्रा का फल नहीं मिलता हैं।
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