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हवन के नियम : हिंदू धर्म में हर पूजा के कार्य ये किसी विशेष कार्य के शुरुआत में हवन को विशेष महत्व दिया जाता है। श्रद्धालु न केवल शुभ अवसरों पर बल्कि व्रत और त्योहारों पर भी हवन करते हैं। लेकिन क्या आप जानते है हवन के भी कुछ नियम है। वास्तु के अनुसार, हवन करने से देवी-देवता प्रसन्न होते हैं और वातावरण शुद्ध होता है। इससे सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह बढ़ता है, हवन करते समय दिशा और नियमों का विशेष ध्यान का ध्यान रखना चाहिए तो जानिए हवन के किन नियम का रखें ध्यान :
हवन करने के नियम :
वास्तु के अनुसार हवन करने के लिए घर का अग्निकोण या दक्षिण-पूर्व दिशा सर्वोत्तम मानी जाती है। यह घर का वह हिस्सा है जहां दक्षिण और पूर्व दिशाएं मिलती हैं। इसके साथ ही हवन करने वाले व्यक्ति का मुख दक्षिण-पूर्व दिशा की ओर होना चाहिए।
अगर आप सही दिशा में हवन करते हैं तो इससे हवन का शुभ फल मिलता है। इससे घर की नकारात्मक ऊर्जा दूर हो जाती है और समस्या भी खत्म हो जाती है।हवन करते समय पूजा के नियमों का ध्यान रखें। उदाहरण के लिए, हवन में एक अंगुल से बड़ी समिधा (हवन करने में प्रयुक्त होने वाली छड़ी) का प्रयोग न करें और न ही वह 10 अंगुल लंबी हो। काले तिलों का प्रयोग भी हवन में किया जा सकता है।
हवन कुंड में आग जलाने के लिए लकड़ी का प्रयोग किया जाता है। सुनिश्चित करें कि केवल सामान्य छड़ियों का ही उपयोग करें। आप चंदन, पीपे की लकड़ी का भी उपयोग कर सकते हैं। हवन में इस बात का विशेष ध्यान रखें कि छड़ी साफ और सड़न रहित हो।हवन में अक्षत का प्रयोग भी आवश्यक माना गया है। ध्यान दें कि हवन में देवताओं को 3 बार और पितरों को 1 बार अक्षत चढ़ाया जाता है। इसलिए घी का दीपक देवताओं के बाईं ओर और अपनी दाईं ओर रखें।