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धर्म-अध्यात्म
Karwa Chauth 2021 : जानिए करवा चौथ व्रत की कथा और संपूर्ण विधि
Rani Sahu
11 Oct 2021 12:16 PM GMT
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अखंड सौभाग्य का व्रत करवा चौथ (Karwa Chauth 2021) इस साल 24 अक्टूबर 2021 को रखा जाएगा. मान्यता है
अखंड सौभाग्य का व्रत करवा चौथ (Karwa Chauth 2021) इस साल 24 अक्टूबर 2021 को रखा जाएगा. मान्यता है कि इस पावन व्रत को सबसे माता पार्वती ने भगवान शिव के लिए रखा था. करवा चौथ (Karwa Chauth 2021) का व्रत कार्तिक कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को किया जाता है. करवाचौथ दो शब्दों से मिलकर बना है,'करवा' यानि कि मिट्टी का बर्तन व 'चौथ' यानि गणेशजी की प्रिय तिथि चतुर्थी. इस पावन पर्व पर मिट्टी के बर्तन यानि करवे की पूजा का विशेष महत्व है, जिससे रात्रि में चंद्रदेव को जल अर्पण किया जाता है .
कब और कौन रख सकता है करवा चौथ का व्रत
करवा चौथ का व्रत अमूमन नव विवाहिताएँ विवाह के पहले साल से ही इस व्रत की शुरुआत करती हैं. इस दिन सुहागिन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और अच्छी सेहत की कामना लिए (Karwa Chauth 2021) व्रत रखती हैं. चौथ का व्रत चौथ से ही प्रारम्भ कराया जाता है. इसके पश्चात् ही अन्य महीनों के व्रत करने की परम्परा है. करवा चौथ व्रत (Karwa Chauth 2021) वाले दिन भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान कार्तिकेय और भगवान गणेश की पूजा करने का विधान है. करवा चौथ को कुंआरी लड़कियां भी मनचाहा वर पाने के लिए रखती है.
करवा चौथ व्रत की विधि
करवा चौथ व्रत (Karwa Chauth 2021) वाले दिन प्रात:काल सूर्योदय से पूर्व उठकर स्नान करें और इस पावन व्रत को विधि-विधान से करने का संकल्प लें और देवी-देवताओं की प्रतिदिन की भांति पूजा करें और पूरे दिन निर्जल व्रत रखें. इसके बाद शाम के समय भगवान शिव, माता पार्वती, भगवान कार्तिकेय और भगवान गणेश की रोली, चंदन, अक्षत, पुष्प, नैवेद्य एवं श्रृंगार के सामान आदि से पूजा करें. इसके बाद करवा चौथ व्रत (Karwa Chauth 2021) की कथा का पाठ करें या सुनें. इसके बाद चंद्र देव के उदय होने उनका दर्शन करें और उसके बाद पति को छलनी से देखें. चंद्र देव को अर्घ्य देने के बाद अपने पति को तिलक लगाकर प्रसाद खिलाएं और उननके हाथों से पानी पीकर अपना व्रत पूर्ण करें.
करवा चौथ व्रत की कथा
मान्यता है कि वनवास के समय जब पांडव काफी समय बीत जाने के बाद वापस नहीं लौटे तो द्रौपदी को चिंता हुई और उसने भगवान श्रीकृष्ण को अपनी चिंता बताई. तब भगवान श्रीकृष्ण ने द्रौपदी को करवा चौथ व्रत (Karwa Chauth 2021) करने को कहा और इस से जुड़ी कथा सुनाई, जिसे कभी भगवान शिव ने माता पार्वती को सुनाया था. कथा के अनुसार एक समय इन्द्रप्रस्थ नगरी में वेदशर्मा नामक एक विद्वान् ब्राह्मण के सात पुत्र और एक पुत्री थी, जिसका नाम वीरावती था. उसका विवाह सुदर्शन नामक एक ब्राह्मण के साथ हुआ.
एक बार जब वीरावती ने करवा चौथ का व्रत रखा तो सारा दिन निर्जल रहने के कारण भूख-प्यास सहन नहीं कर पाई और निढाल होकर बैठ गई. तब उसकी भाभियों ने उसका हाल उसके भाईयों को बताया कि वीरावती अपना व्रत चंद्र देव का दर्शन करने के बाद ही खोलेगी, जिसमें काफी समय था. यह जानते ही वीरावती के भाइयों ने बाहर खेतों में जाकर आग जलाई और ऊपर कपड़ा तानकर चन्द्रमा जैसा दृश्य बना दिया और अपनी बहन से बोले कि चांद निकल आया है, अब तुम अर्घ्य दे दो. इसके बाद वीरावती ने अघ्र्य देकर भोजन कर लिया लेकिन नकली चन्द्रमा को अर्घ्य देने के कारण उसका करवा चौथ का व्रत (Karwa Chauth 2021) खण्डित हो गया, जिसके फलस्वरूप उसका पति गम्भीर रूप से बीमार पड़ गया.
कहते हैं कि कुछ समय बाद इन्द्र की पत्नी इन्द्राणी करवाचौथ का व्रत करने के लिए पृथ्वी पर आयीं. यह जानते ही वीरावती ने जाकर इन्द्राणी से प्रार्थना की कि वह उसके पति को एक बार फिर अच्छा भला कर दे. इस पर इन्द्राणी ने कहा कि जिस व्रत के खंडित होने पर तुम्हारे पति की यह दशा हुई है, तुम उसी व्रत को विधि-विधान से रखोगी तो यह शीघ्र ही स्वस्थ हो जाएंगे. इसके बाद वीरावती ने इन्द्राणी के निर्देशानुसार करवा चौथ का व्रत (Karwa Chauth 2021) रखा और उसका न सिर्फ पति पूर्ण रूप से स्वस्थ हुआ बल्कि उसे सुख और समृद्धि की भी प्राप्ति हुई
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