धर्म-अध्यात्म

करवा चौथ व्रत कथा: पूजा के दौरान यह व्रत कथा पढ़ें , मिलेगा अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद

Bharti Sahu 2
20 Oct 2024 1:14 AM GMT
करवा चौथ व्रत कथा:  पूजा के दौरान यह व्रत कथा पढ़ें , मिलेगा अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद
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करवा चौथ व्रत कथा: हिंदू धर्म की महिलाओं के लिए करवा चौथ का व्रत बहुत ही महत्वपूर्ण होता हैं. करवा चौथ का व्रत हर साल कार्तिक माह के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को रखा जाता है. इस दिन भगवान शिव, माता पार्वती, गणेश जी, कार्तिक जी के साथ करवा माता और चंद्र देव की पूजा की जाती है. इस दिन महिलाएं पूरे विधि-विधान से व्रत का पालन कर माता करवा से अपने पति की लंबी उम्र और वैवाहिक जीवन में सुख शांति के लिए प्रार्थना करती हैं इस दिन पूजा करने के साथ आरती और व्रत कथा का पाठ करने से व्रत सफल माना जाता है|
करवा चौथ व्रत कथा Karwa Chauth Vrat Katha
पौराणिक कथाओं के अनुसार, कर्तिक मास की चतुर्थी को करवा चौथ करते हैं. इसमें गणेश जी का पूजन होता है. प्राचीन काल एक द्विज नामक ब्राह्मण के 7 पुत्र और एक वीरावती नाम की कन्या थी. वीरवती एक सुंदर और धर्मनिष्ठ राजकुमारी थी. वह अपने सात भाइयों की इकलौती बहन थी. विवाह के बाद, वीरवती ने पहली बार अपने पति की लंबी उम्र के लिए करवा चौथ का व्रत रखा. उसने दिनभर अन्न-जल ग्रहण नहीं किया और पूरी श्रद्धा के साथ व्रत का पालन किया. लेकिन दिन ढलते-ढलते भूख और प्यास के कारण वह अत्यधिक कमजोर हो गई. वीरवती की यह दशा देखकर उसके भाई चिंतित हो गए. वे अपनी
बहन की हालत
देखकर दुखी हो गए और उसे व्रत तोड़ने के लिए मनाने लगे, लेकिन वीरवती ने कहा कि जब तक चंद्रमा उदित नहीं होता, वह व्रत नहीं तोड़ेगी.
वीरवती के भाइयों ने अपनी बहन की हालत देखकर एक उपाय सोचा. उन्होंने पेड़ की आड़ में छल से एक दर्पण का उपयोग करके नकली चंद्रमा बना दिया. भाइयों ने वीरवती से कहा कि चंद्रमा निकल आया है और उसे देखकर व्रत तोड़ लो. वीरवती ने वह नकली चंद्रमा देखकर व्रत तोड़ दिया और जल ग्रहण कर लिया. जैसे ही उसने व्रत तोड़ा, उसे यह सूचना मिली कि उसका पति गंभीर रूप से बीमार हो गया है.वीरवती को तुरंत आभास हुआ कि उसने चंद्रमा की पूजा किए बिना और सही समय से पहले व्रत तोड़ दिया, जिसके कारण यह अनहोनी हुई. वह अत्यधिक दुखी हुई और पश्चाताप करने लगी. अपने पति की लंबी आयु के लिए वीरवती ने दृढ़ संकल्प किया और पूरी श्रद्धा के साथ करवा चौथ का व्रत फिर से रखा. उसकी भक्ति और समर्पण से प्रसन्न होकर माता पार्वती ने उसे आशीर्वाद दिया और उसका पति स्वस्थ हो गया|
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