धर्म-अध्यात्म

पति के आयु और मंगलकामना का व्रत है करवा चौथ, जाने इसकी कथा

Subhi
12 Sep 2022 4:16 AM GMT
पति के आयु और मंगलकामना का व्रत है करवा चौथ, जाने इसकी कथा
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कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में चतुर्थी को मनाया जाने वाला करवा चौथ का व्रत महिलाओं का सर्वाधिक प्रिय व्रत है. इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियां पति के स्वास्थ्य, आयु और मंगलकामना के लिए व्रत रखती हैं. यह व्रत सौभाग्य और शुभ संतान देने वाला है. कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को यह व्रत किया जाता है.

कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में चतुर्थी को मनाया जाने वाला करवा चौथ का व्रत महिलाओं का सर्वाधिक प्रिय व्रत है. इस दिन सौभाग्यवती स्त्रियां पति के स्वास्थ्य, आयु और मंगलकामना के लिए व्रत रखती हैं. यह व्रत सौभाग्य और शुभ संतान देने वाला है. कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष में चंद्रोदय व्यापिनी चतुर्थी को यह व्रत किया जाता है. इस बार यह व्रत 13 अक्टूबर 2022 को पड़ेगा.

इस विधि से करनी चाहिए पूजा

इस व्रत का पालन करने वाली महिलाओं को प्रातः काल स्नान के बाद आचमन करके पति, पुत्र और सौभाग्य की इच्छा का संकल्प लेना चाहिए. इस व्रत में शिव, पार्वती, कार्तिकेय, गणेश जी और चंद्रमा का पूजन करने का विधान है. महिलाएं चंद्रोदय के बाद चंद्रमा का दर्शन और पूजन तथा अर्घ्य देने के बाद ही जल व भोजन ग्रहण करती हैं. पूजा के बाद तांबे या मिट्टी के करवे में चावल, उड़द की दाल, सिंदूर, चूड़ी, रिबन, सुहाग की सामग्री, और दक्षिणा रख कर दान किया जाता है. इसके बाद 14 पूड़ी या मिठाई का बायना, सुहाग की सामग्री, फल, मेवा सास को भेंटकर उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेना चाहिए. विवाह के पश्चात नवविवाहिता इस व्रत को करती हैं, जिसमें 14 खांड के कलशे, एक लोटा, फल, मिठाई, बायना, सुहाग का सामान, साड़ी सासू जी को भेंट करती हैं. व्रत के महात्म्य पर महाभारत में एक कथा मिलती है, जिसे महिलाएं दीवार पर गोबर से लीपकर चावल के ऐपन से लिखकर पूजन करती हैं, किंतु अब बाजार में इसके कैलेंडर आने लगे हैं.

करवा चौथ की व्रत कथा

प्राचीन काल में शाक प्रस्थपुर में एक धर्म परायण ब्राह्मण वेद धर्मा रहते थे, जिनके सात पुत्र तथा वीरवती नाम की पुत्री थी. बड़ी होने पर वीरवती का विवाह कर दिया गया और उसने पहली बार करवा चौथ का व्रत रखा. उसे चंद्रोदय के पहले ही भूख सताने लगी तो भाईयों ने पीपल के पेड़ की आड़ से रोशनी दिखा दी, जिसे वीरवती ने चंद्रोदय समझ कर अर्घ्य देकर भोजन कर लिया. भोजन करते ही उसका पति मर गया तो वह विलाप करने लगी. दैवयोग से कहीं जाते हुए इंद्राणी ने उसका रोना सुना तो वहां पहुंच कर वीरवती से कारण पूछा, फिर उन्होंने कहा कि तुमने चंद्रोदय के पहले ही व्रत तोड़ा है, जिसके कारण पति की मृत्यु हो गई है. अब यदि तुम 12 महीनों तक प्रत्येक चौथ को विधि-विधान से पूजन करो और करवा चौथ के दिन शिव परिवार के साथ चंद्रमा का पूजन करो तो तुम्हारे पति जी उठेंगे. वीरवती ने ऐसा ही किया तो उसके पति जी उठे.


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