धर्म-अध्यात्म

Karva Chauth 2021: कब है करवा चौथ का व्रत? जानें शुभ मुहूर्त और महत्व

Tulsi Rao
15 Sep 2021 5:24 PM GMT
Karva Chauth 2021: कब है करवा चौथ का व्रत? जानें शुभ मुहूर्त और महत्व
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सुहागिन स्त्रियों को इस व्रत का वर्ष भर इंतजार रहता है. सुहागिन स्त्रियां करवा चौथ पर सोलह श्रृंगार करती हैं, पूजा और करवा चौथ व्रत की कथा सुनने के बाद इस व्रत का पारण करती हैं. इस वर्ष यानि करवा चौथ का व्रत 2021 में कब है? आइए जानते हैं

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Karva Chauth 2021 Date: करवा चौथ के व्रत को सबसे कठिन व्रतों में से एक माना गया है. करवा चौथ का व्रत में अन्न और जल का त्याग किया जाता है. इसीलिए करवा चौथ के व्रत को निर्जला व्रत भी कहा जाता है. सुहागिन स्त्रियों को इस व्रत का वर्ष भर इंतजार रहता है. सुहागिन स्त्रियां करवा चौथ पर सोलह श्रृंगार करती हैं, पूजा और करवा चौथ व्रत की कथा सुनने के बाद इस व्रत का पारण करती हैं. इस वर्ष यानि करवा चौथ का व्रत 2021 में कब है? आइए जानते हैं-

2021 में करवा चौथ का व्रत कब है?
पंचांग के अनुसार 24 अक्टूबर, रविवार को कार्तिक मास की कृष्ण पक्ष की चतुथी तिथि को करवा चौथ का व्रत रखा जाएगा. इस चतुर्थी की तिथि को संकष्टी चतुर्थी भी कहा जाता है. संकष्टी चतुर्थी का पर्व भगवान गणेश जी को समर्पित है. इस दिन भगवान गणेश जी की भी विशेष पूजा की जाती है.
करवा चौथ का व्रत का महत्व
मान्यता है कि करवा चौथ का व्रत रखने से सुहाग की बना रहता है. इसीलिए इस व्रत को सुहागिन स्त्रियां अपने पति की लंबी आयु के लिए रखती हैं. इसके साथ ही अपने पति की अच्छी सेहत, प्रगति और सफलता के लिए भी इस व्रत को रखा जाता है. करवा चौथ का व्रत सुहागिनों का प्रिय व्रत है. इस व्रत को सबसे कठिन व्रतों में से एक माना गया है. एक पौराणिक कथा के अनुसार देवों की पत्नियों से इस व्रत को विधि पूर्वक रखा था, जिस कारण युद्ध में देवताओं को विजय प्राप्त हुई. तभी इस व्रत को रखने की परंपरा आरंभ हुई.
संकष्टी चतुर्थी 2021
करवा चौथ चंद्रोदय समय- रात्रि- 08 बजकर 07 मिनट.
करवा चौथ व्रत कथा
पौराणिक कथा के अनुसार एक ब्राह्मण के सात पुत्र थे और वीरावती नाम की इकलौती पुत्री थी. इस कारण वीरावती सभी की प्रिय थी. कुछ समय बाद वीरावती का विवाह हो गया. वीरावती विवाह के बाद एक बार अपने मायके आई और फिर उसने करवाचौथ का व्रत रखा लेकिन शाम होते-होते वह भूख से व्याकुल हो उठी. सभी भाई खाना खाने बैठे और अपनी बहन से भी खाने का आग्रह करने लगे, लेकिन बहन ने बताया कि उसका आज करवा चौथ का निर्जल व्रत है और वह खाना सिर्फ चंद्रमा को देखकर उसे अघर््य देकर ही खा सकती है. लेकिन चंद्रमा अभी तक नहीं निकला है.
बहन की इस हालत को देखकर उसके भाइयों ने पीपल के पेड़ पर एक दीपक जलाकर चलनी की ओट में रख दिया. जो दूर से देखने पर चांद की तरह दिखाई देने लगा. एक भाई ने आकर वीरावती को कहा कि चांद निकल आया है, तुम उसे अघ्र्य देने के बाद भोजन कर सकती हो. वीरावती ने चांद को देखा और उसे अघर््य देकर भोजन ग्रहण करना आरंभ कर दिया. जैसे ही पहला टुकड़ा मुंह में डाला है तो उसे छींक आ गई. दूसरा टुकड़ा डाला तो उसमें बाल निकल आया. इसके बाद उसने जैसे ही तीसरा टुकड़ा मुंह में डालने की कोशिश की तो उसके पति की मृत्यु का समाचार मिला.
वीरावती ने अपनी भाभी पूरे बात बताई. उसे बताया गया कि करवा चौथ का व्रत गलत तरीके से टूटने के कारण देवता उससे नाराज हो गए हैं. एक बार इंद्र देव की पत्नी इंद्राणी करवाचौथ के दिन धरती पर आईं और वीरावती उनके पास गई और अपने पति की रक्षा के लिए प्रार्थना की. देवी इंद्राणी ने वीरावती को पूरी श्रद्धा और विधि-विधान से करवाचौथ का व्रत करने के लिए कहा. इस बार वीरावती पूरी श्रद्धा से करवाचौथ का व्रत रखा. उसकी श्रद्धा और भक्ति देख कर भगवान प्रसन्न हो गए और उन्होंनें वीरावती सदासुहागन का आशीर्वाद देते हुए उसके पति को पुन: जीवित कर दिया


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