धर्म-अध्यात्म

नवरात्र में कन्या पूजन का विशेष महत्व हैं ,कन्या पूजन के समय इन बातो का रखे ख्याल

Kajal Dubey
11 Oct 2021 10:27 AM GMT
नवरात्र में कन्या पूजन का विशेष महत्व हैं ,कन्या पूजन के समय इन बातो का रखे ख्याल
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कन्या पूजन का महत्त्व

जनता से रिश्ता वेबडेस्क। हिन्दू धर्म में नवरात्रि का और नवरात्रि में कन्या पूजन यानी कंजक खिलाने का विशेष महत्त्व (Importance) है. वैसे तो कन्या पूजन नवरात्रि के किसी भी दिन किया जा सकता है. लेकिन इसके लिए अष्टमी और नवमी तिथि को श्रेष्ठ दिन माना जाता है. इन दिनों वह लोग तो विशेष तौर पर कन्या पूजन करते ही हैं, जो नवरात्रि के सभी दिनों में मां की आराधना और व्रत करते हैं. लेकिन कन्या पूजन करना वह लोग भी चाहते हैं, जो केवल नवरात्रि के पहले और आखिरी दिन व्रत रखते हैं या किसी कारणवश व्रत नहीं भी रखते हैं. क्योंकि ऐसा माना जाता है कि मां की पूजा कन्या पूजन के बाद ही सफल मानी जाती है. अगर आप चाहते हैं कि आपको नवरात्रि पूजा का भरपूर लाभ मिले, तो कन्या पूजन के समय कुछ बातों का ध्यान आपको जरूर रखना चाहिए. आइये जानते हैं कन्या पूजन का क्या महत्त्व है और कंजक खिलाते समय किन बातों का ध्यान रखना जरूरी

कन्या पूजन का महत्त्व

माता रानी का स्वरूप माने जाने वाली कन्याओं की पूजा के बिना नवरात्रि के नौ दिन की शक्ति पूजा अधूरी मानी जाती है. देवी मां पूजा-पाठ, हवन, तप और दान से इतनी प्रसन्न नहीं होती हैं जितनी कन्या पूजन से होती हैं. इसलिए नवरात्रि के दिनों में कन्या पूजन का विशेष महत्त्व है.

कन्या पूजन के समय इन बातों का रखें ध्यान

कन्या पूजन करने से पहले उस स्थान की साफ़-सफाई अच्छी तरह से जरूर कर लें, जहां कन्या पूजन किया जाना है.

कन्या पूजन यानी कंजक खिलाते समय उनके साथ एक बालक को जरूर बिठाएं. कन्याओं की तरह उस बालक जिसे लंगूर बोला जाता है का पूजन भी जरूर करें और उसको भोजन भी करवाएं. बालक को बटुक भैरव का प्रतीक माना जाता है. देवी मां की पूजा के बाद भैरव की पूजा बेहद अहम मानी जाती है.

कन्या पूजन में केवल 2 वर्ष से लेकर 10 वर्ष की आयु तक की कन्याओं को ही आमंत्रित करे

पूजा के लिए बिठाने से पहले कन्याओं के पैर दूध और पानी से आप खुद ही धोएं तो बेहतर होगा.

कन्याओं और बालक को बिठाकर उनकी श्रद्धा-भाव से पूजा करें और उनको भोजन परोसें.

कन्या पूजन में वैसे तो अपने सामर्थ्य के अनुसार आप कुछ भी सात्विक भोजन करवा सकते हैं. लेकिन उनको खीर, पूड़ी, हल्वा, चना, नारियल, दही, जलेबी जैसी चीजों का भोग लगाना पारम्परिक माना जाता है.

भोजन करवाने के बाद कन्याओं और बालक को कुछ न कुछ उपहार जरूर दें. उपहार का चुनाव आप अपने सामार्थ्य के अनुसार कर सकते हैं.

आखिर में कन्याओं और बालक के पैर छूकर उनका आशीर्वाद ज़रूर लें.

Disclaimer: इस लेख में दी गई जानकारियां और सूचनाएं सामान्य मान्यताओं पर आधारित हैं.

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