धर्म-अध्यात्म

महानवमी पर दोपहर इतने बजे तक कर सकते हैं कन्या पूजन, जाने मुहूर्त

Subhi
4 Oct 2022 5:55 AM GMT
महानवमी पर दोपहर इतने बजे तक कर सकते हैं कन्या पूजन, जाने मुहूर्त
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नवरात्र के आखिरी दिन मां दुर्गा के नवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा करने का विधान है। आज के दिन के साथ नवरात्र का समापन भी हो जाएगा। सिद्धिदात्री एकलौती ऐसा अवतार है जिन्हें पूरे 8 सिद्धियां प्राप्त है।

नवरात्र के आखिरी दिन मां दुर्गा के नवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा करने का विधान है। आज के दिन के साथ नवरात्र का समापन भी हो जाएगा। सिद्धिदात्री एकलौती ऐसा अवतार है जिन्हें पूरे 8 सिद्धियां प्राप्त है। इसलिए आज के दिन विधिवत तरीके से मां दुर्गा के इस स्वरूप की पूजा जरूर करना चाहिए। कई लोग नवरात्र के पूरे नौ दिनों तक व्रत रखने के साथ कलश स्थापना करते हैं। अगर आपने भी इस बार पूरे नौ दिनों का व्रत रखा है, तो महानवमी और दशमी तिथि को ही कलश विसर्जन करना चाहिए। विसर्जन से पहले हवन और कन्या पूजन जरूर करें। अगर अभी तक आपने कन्या पूजन नहीं किया है, तो जान लें कि किस समय करना होगा शुभ।

नवरात्रि नवमी कब से कब तक

शारदीय नवरात्र की नवमी तिथि आरंभ- 03 अक्टूबर को शाम 04 बजकर 37 मिनट से शुरू

नवमी तिथि समाप्त- 04 अक्टूबर को दोपहर 02 बजकर 20 मिनट

नवमी पर कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त

शुभ मुहूर्त- सुबह 05 बजकर 02 मिनट से सुबह 06 बजकर 15 मिनट तक

अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11 बजकर 46 मिनट से लेकर दोपहर 12 बजकर 33 मिनट तक

लाभ मुहूर्त- सुबह 10 बजकर 41 मिनट से 12 बजकर 10 मिनट तक

ऐसे करें कन्या पूजन

कन्या पूजन के लिए 2 से 10 साल की बच्चियां की पूजा करना शुभ माना जाता है। क्योंकि इस उम्र की बालिकाओं को मां दुर्गा का स्वरूप माना जाता है। अगर आप पहले से कन्याओं को न्यौता नहीं दे पाएं, तो आपको जितनी कन्याएं मिल जाएं 1, 2, 5, 7 उतनी ही कन्याओं को बुलाकर भोजन कराएं। कन्याओं को घर में बुलाएं और एक थाली में जल लेकर उनके पैरों को धो लें। इसके बाद रूमाल या तौलिया से पैरों के पोछ दें।

पैर धोने के बाद उन्हें सत्कार के साथ बैठाएं। इसके बाद उनके माथे में घी के साथ सिंदूर लगाएं। इसके साथ ही चुनरी पहनाकर फूल चढ़ाएं। फिर विधिवत आरती करने के बाद उन्हें प्यार से भोजन कराएं। भोजन में हलवा, चना, पूरी, फल खिलाएं। भोजन के बाद कन्याओं को अपने सामर्थ्य के हिसाब से उपहार दें और पैर छूकर आशीष लेने के साथ उन्हें विदा करें।

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