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धर्म-अध्यात्म
Kanwar Yatra 2024: यात्रा कांवड़ का महत्व,धार्मिक परंपरा
Bharti Sahu 2
21 July 2024 12:52 AM GMT
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Kanwar Yatra 2024: सावन का आगमन भगवन शिव के भक्तों के लिए उत्सव जैसा होता है। चारों ओर हरियाली का प्रसार, ठंडी हवाओं का झोंका और श्रावण मास के भक्तिमय मंत्र – ये सब मिलकर एक अलौकिक अनुभूति पैदा करते हैं। इस पावन महीने में, भक्त भगवान शिव को रिझाने के लिए तरह-तरह के अनुष्ठान करते हैं मीलों दूर गंगा या अन्य पवित्र नदियों तक की यात्रा, कांवड़ में जल भरना और फिर उसे वापस लाकर भगवान शिव का जलाभिषेक करना – यही है कांवड़ यात्रा का सार। धर्मशास्त्रों में वर्णित न होने के बावजूद, कांवड़ यात्रा सदियों से चली आ रही परंपरा है जिसका हिंदू धर्म में विशेष महत्व है। आइए जानते हैं 2024 में कब से शुरू हो रही है कांवड़ यात्रा और इसके धार्मिक और सामाजिक लाभ क्या हैं। इस वर्ष 2024 में, कांवड़ यात्रा 22 जुलाई से प्रारंभ होकर 2 अगस्त को सावन शिवरात्रि पर समाप्त होगी। सावन शिवरात्रि, भगवान शिव के सबसे महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक है, और यह माना जाता है
कांवड़ यात्रा का महत्त्व
कांवड़ यात्रा में, श्रद्धालु, जिन्हें कांवड़िए कहा जाता है, भगवान शिव के प्रति गहरी श्रद्धा से प्रेरित होकर, मीलों दूर गंगा या अन्य पवित्र नदियों तक जाते हैं। वे कठोर धूप और तपती धूप की परवाह किए बिना नंगे पैर चलते हैं। रास्ते में सादा भोजन ग्रहण करते हुए और कठिन अनुशासन का पालन करते हुए, वे कांवड़ में पवित्र जल भरकर अपने गंतव्य तक पहुंचते हैं। ऐसा माना जाता है कि सावन मास में की गई कांवड़ यात्रा से भगवान शिव अत्यंत प्रसन्न होते हैं और भक्तों के सभी कष्ट दूर कर देते हैं। यह माना जाता है कि इससे पापों का नाश होता है, आत्म-शुद्धि होती है और मोक्ष की प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त होता है।
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