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कामिका एकादशी व्रत आज, जानें शुभ मुहूर्त, व्रत विधि और महत्व
जनता से रिश्ता वेबडेस्क। Kamika Ekadashi 2021: कामिका एकादशी व्रत हर साल सावन माह कृष्ण पक्ष की एकादशी के दिन रखा जाता है। इस साल कामिका एकादशी व्रत 4 अगस्त, बुधवार के दिन रखा जाएगा। धार्मिक दृष्टि से कामिका एकादशी का बड़ा महत्व है। पद्म पुराण के अनुसार भगवान श्री कृष्ण ने युधिष्ठिर को एकादशी तिथि का महत्त्व समझाते हुए कहा है कि जैसे नागों में शेषनाग, पक्षियों में गरुड़, देवताओं में श्री विष्णु, वृक्षों में पीपल तथा मनुष्यों में ब्राह्मण श्रेष्ठ हैं, उसी प्रकार सम्पूर्ण व्रतों में एकादशी श्रेष्ठ है। सभी एकादशियों में नारायण के समान फल देने की शक्ति होती है। इस व्रत को करने के बाद और कोई पूजा करने की आवश्यकता नहीं होती। इनमें श्रावण मास में कृष्ण पक्ष की एकादशी जिसका नाम 'कामिका' है, उसके स्मरण मात्र से वाजपेय यज्ञ का फल मिलता है। इस दिन भगवान विष्णु की विधि-विधान से पूजा आराधना की जाती है। कामिका एकादशी के दिन शंख, चक्र गदा धारण करने वाले भगवान विष्णु की श्रीधर, हरि, विष्णु, माधव और मधुसूदन आदि नामों से भक्तिपूर्वक पूजा करनी चाहिए।
कामिका एकादशी 2021 मुहूर्त
एकादशी तिथि का प्रारंभ 03 अगस्त दिन मंगलवार को दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से
एकादशी तिथि का समापन 04 अगस्त दिन बुधवार को दोपहर 03 बजकर 17 मिनट पर
इस दिन प्रात: काल 05:44 बजे से लेकर अगले दिन 05 अगस्त को प्रात: 04:25 बजे तक सर्वार्थ सिद्धि योग है।
कामिका एकादशी व्रत विधि
सुबह जल्दी उठें। शौचादि से निवृत्त होकर स्नान करें और व्रत का संकल्प लें।
भगवान विष्णु जी की प्रतिमा को गंगा जल से नहलाएं।
अब दीपक जलाकर उनका स्मरण करें और भगवान विष्णु की पूजा में उनकी स्तुति करें।
पूजा में तुलसी के पत्तों का भी प्रयोग करें तथा पूजा के अंत में विष्णु आरती करें।
शाम को भी भगवान विष्णु जी के समक्ष दीपक जलाकर उनकी आराधना करें।
विष्णु सहस्रनाम का पाठ करें। द्वादशी के समय शुद्ध होकर व्रत पारण मुहूर्त के समय व्रत खोलें।
लोगों में प्रसाद बांटें और ब्राह्मणों को भोजन कर कराकर उन्हें दान-दक्षिणा दें।
कामिका एकादशी व्रत का महत्व
एकादशी का व्रत करने से समस्त पापों से मुक्ति प्राप्त होती है भगवान विष्णु सभी कष्टों को दूर करते हैं। कामिका एकादशी का व्रत करने से मनोवांचित फलों की प्राप्ति होती है। एकादशी के दिन तीर्थस्थलों में स्नान, दान का भी प्रावधान है। कामिका एकादशी व्रत के फल को अश्वमेघ यज्ञ से मिलने वाले फल के बराबर माना गया है। कामिका एकादशी के दिन भगवान विष्णु का पूजन करने से पित्त प्रसन्न होते हैं। जिससे व्यक्ति के जीवन में आने वाले कष्ट दूर होते हैं। इस एकादशी के दिन जो लोग सावन माह में भगवान विष्णु की पूजा करते हैं, माना जाता है कि उनके द्वारा गंधर्वों और नागों की पूजा भी संपन्न हो जाती है। कामिका एकादशी की कथा सुनने मात्र से ही यज्ञ करने के समान फल मिलता है।